कोविदः - सूक्तिः #11
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते ।
| पदविभागः | पदविवरणम् | प्रतिपदार्थम् |
|---|---|---|
| ज्ञानेन | ज्ञान / नपुं / तृ.वि / ए.व | with (spiritual) knowledge |
| सदृशम् | सदृश / नपुं / प्र.वि / ए.व | similar to |
| पवित्रम् | पवित्र / नपुं / प्र.वि / ए.व धातुविवरणम् :- पू [पूङ् पवने ; भ्वादिः ; आत्मनेपदी ; सकर्मकः ; सेट्] (to purify, to cleanse) पदविवरणम् :- पू + इत्र = पवित्र / त्रि (-त्रः-त्रा-त्रं) (= sublime, pure) |
sublime, pure |
| इह | इह / अव्ययम् | at the moment, in this world |
| हि | हि / अव्ययम् | certainly |
| न विद्यते |
न विद् + कर्तरि लँट् / प्र.पु / ए.व धातुविवरणम् :- विद् [विदँ सत्तायाम् ; दिवादिः ; आत्मनेपदी ; अकर्मकः ; अनिट्] (to exist) |
does not exist |
| विषयः | विवरणम् |
|---|---|
| अन्वयः | ज्ञानेन सदृशं पवित्रम् इह न हि विद्यते । |
| तात्पर्यम् | ज्ञनतुल्यं पावनं वस्तु अन्यत् किमपि नास्ति । |
| Purport | In this world, there certainly does not exist anything as pure as spiritual knowledge. |
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