परिचयः - अन्वयक्रमः #18
प्रविश्य तु महारण्यं रामो राजीवलोचनः ।
विराधं राक्षसं हत्वा शरभङ्गं ददर्श ह ॥
सुतीक्ष्णं चाप्यगस्त्यं च अगस्त्यभ्रातरं तथा ॥
पदविभागः | विवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
प्रविश्य |
प्रविश्य / अव्ययम् धातुविवरणम् :- विश् [विशँ प्रवेशने ; तुदादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to enter) पदविवरणम् :- प्र + विश् + ल्यप् = प्रविश्य / अव्ययम् |
having entered |
तु | पादपूर्णारणार्थकम् / अव्ययम् | - |
महारण्यम् |
महारण्य / नपुं / द्वि.वि / ए.व पदविवरणम् :- महत् / नपुं (= great, incomprehensible) अरण्य / नपुं (= forest) समासविवरणम् :- [कर्मधारयसमासः] महत् च तत् अरण्यम् च = महारण्यम् / नपुं |
the great forest बहुव्रीहिसमासे कर्मधारयसमासे च लिङ्गत्रये अपि महत्-शब्दस्य आत्वम् भवति ।
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रामः |
राम / पुं / प्र.वि / ए.व धातुविवरणम् :- रम् [रमँ क्रीडायाम् ; भ्वादिः ; आत्मनेपदी ; अकर्मकः ; अनिट्] (to enjoy, to rejoice, to play) पदविवरणम् :- रम् + घञ् = राम / पुं (= pleasing) |
Rāma (one who delights) |
राजीवलोचनः |
राजीवलोचन / पुं / प्र.वि / ए.व धातुविवरणम् :- लोच् [लोचृँ दर्शने ; भ्वादिः ; आत्मनेपदी ; सकर्मकः ; सेट्] (to see, to perceive) पदविवरणम् :- राजीव / नपुं (= lotus) लोच् + ल्युट् = लोचन / नपुं (= चक्षुः, an eye) समासविवरणम् :- [बहुव्रीहिसमासः] राजीवे इव लोचने यस्य, सः राजीवलोचनः / पुं |
one who has eyes like lotus |
विराधम् |
विराध / पुं / द्वि.वि / ए.व धातुविवरणम् :- राध् [राधँ संसिद्धौ ; स्वादिः ; परस्मैपदी ; अकर्मकः ; अनिट्] (to accomplish, to attain, to fulfill, to achieve) पदविवरणम् :- वि + राध् + घञ् = विराध / पुं (= opposition, prevention, annoyance) |
Virādha (the Rākṣasa) |
राक्षसम् | राक्षस / पुं / द्वि.वि / ए.व | the demon |
हत्वा |
हत्वा / अव्ययम् धातुविवरणम् :- हन् [हनँ हिंसागत्योः ; अदादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to kill, to destroy, to go) पदविवरणम् :- हन् + क्त्वा = हत्वा / अव्ययम् |
having killed |
शरभङ्गम् | शरभङ्ग / पुं / द्वि.वि / ए.व | Śarabhaṅga |
ददर्श |
दृश् + कर्तरि लिँट् / प्र.पु / ए.व धातुविवरणम् :- दृश् [दृशिँर् प्रेक्षणे ; भ्वादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to see, to look) |
saw |
ह | पादपूर्णारणार्थकम् / अव्ययम् | - |
सुतीक्ष्णम् | सुतीक्ष्ण / पुं / द्वि.वि / ए.व | Sutīkṣṇa |
च | अव्ययम् | and |
अपि | अव्ययम् | also |
अगस्त्यम् | अगस्त्य / पुं / द्वि.वि / ए.व | Agastya |
च | अव्ययम् | and |
अगस्त्यभ्रातरम् |
अगस्त्यभ्रातृ / पुं / द्वि.वि / ए.व पदविवरणम् :- अगस्त्य / पुं (= sage Agastya) भ्रातृ / पुं (= brother) समासविवरणम् :- [षष्ठीतत्पुरुषसमासः] अगस्त्यस्य भ्राता, तम् = अगस्त्यभ्रातरम् |
brother of Agastya |
तथा | तद् + थाल् = तथा / अव्ययम् | then |
विवरणानि | क्रियापदानि | |||||
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प्रधानक्रिया 1.0 (ददर्श) | गौणक्रिया 1.1 (प्रविश्य) | गौणक्रिया 1.2 (हत्वा) | ||||
विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | |
प्र.वि | रामः | राजीवलोचनः | (रामः) | (रामः) | ||
स.प्र.वि | ||||||
द्वि.वि | शरभङ्गम् सुतीक्ष्णम् अगस्त्यम् अगस्त्यभ्रातरम् |
महारण्यम् | विराधम् | राक्षसम् | ||
तृ.वि | ||||||
च.वि | ||||||
प.वि | ||||||
ष.वि | ||||||
स.वि | ||||||
अव्ययम् | तथा तु ह च अपि |
च | ||||
अन्वयः | तथा तु राजीवलोचनः रामः महारण्यं प्रविश्य राक्षसं विराधं हत्वा शरभङ्गं सुतीक्ष्णं अगस्त्यं च अगस्त्यभ्रातरम् अपि ददर्श ह । | |||||
Purport | Then, Rāma, the one with lotus-like eyes, having entered the great forest, having killed the Virādha demon, met Śarabhaṅga, Sutīkṣṇa, Agastya and also the brother of Agastya. | |||||
अन्वयरचना |
ददर्श
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