परिचयः - अन्वयक्रमः #09
पौरैरनुगतो दूरं पित्रा दशरथेन च ।
शृङ्गवेरपुरे सूतं गङ्गाकूले व्यसर्जयत् ॥
गुहमासाद्य धर्मात्मा निषादाधिपतिं प्रियम् ॥
पदविभागः | विवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
पौरैः |
पौर / पुं / तृ.वि / ब.व पदविवरणम् :- पुर (a city) + अण् = पौर / पुं (= citizen) |
by citizens |
अनुगतः |
अनुगत / पुं / प्र.वि / ए.व पदविवरणम् :- अनु + गम् (to go) + क्त = अनुगत / पुं & नपुं |
was followed |
दूरम् | दूर / नपुं / द्वि.वि / ए.व |
for a distance क्रियाविशेषणं सर्वदा नपुंसकलिङ्गे द्वितियाविभक्तौ च एव भवति । (Adverbs are always in neuter gender and 2nd vibhakti.) More info on Adverbs |
पित्रा | पितृ / पुं / तृ.वि / ए.व | by the father |
दशरथेन | दशरथ / पुं / तृ.वि / ए.व | by Daśaratha |
च | अव्ययम् | and |
शृङ्गवेरपुरे | शृङ्गवेरपुर / पुं / स.वि / ए.व | in Śṛṅgaverapura |
सूतम् | सूत / पुं / द्वि.वि / ए.व | the charioteer |
गङ्गाकूले |
गङ्गाकूल / नपुं / स.वि / ए.व पदविवरणम् :- गङ्गा / स्त्री कूल / नपुं समासविवरणम् :- [षष्ठीतत्पुरुषसमासः] गङ्गायाः कूलम्, तस्मिन् = गङ्गाकूले |
on the banks of river Gaṅgā |
व्यसर्जयत् |
वि + सृज् + णिच् + लँङ् / प्र.पु / ए.व सृज् (to let go) |
sent back |
गुहम् | गुह / पुं / द्वि.वि / ए.व | Guha |
आसाद्य | आङ् + सद् (to go) + णिच् + ल्यप् = आसाद्य / अव्ययम् | having met |
धर्मात्मा |
धर्मात्मन् / पुं / प्र.वि / ए.व पदविवरणम् :- धर्म / पुं आत्मन् / पुं समासविवरणम् :- [बहुव्रीहिसमासः] धर्मः आत्मा यस्य सः धर्मात्मा |
one who is righteous |
निषादाधिपतिम् |
निषादाधिपति / पुं / द्वि.वि / ए.व पदविवरणम् :- नि + सद् (to go) + आधारे घञ् = निषाद / पुं अधि + पति = अधिपति / पुं समासविवरणम् :- [षष्ठीतत्पुरुषसमासः] निषादानाम् अधिपतिः, तम् = निषादाधिपतिम् |
one who is the king of the hunter tribe |
प्रियम् |
प्रिय / पुं / द्वि.वि / ए.व पदविवरणम् :- प्री (to please) + क = प्रिय / पुं |
beloved, dear |
विवरणानि | क्रियापदानि | |||||
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प्रधानक्रिया 1.0 (व्यसर्जयत्) | गौणक्रिया 1.1 (अनुगतः) | गौणक्रिया 1.2 (आसाद्य) | ||||
विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | |
प्र.वि | धर्मात्मा | (रामः) | (धर्मात्मा) | (धर्मात्मा) | ||
स.प्र.वि | ||||||
द्वि.वि | सूतम् | दूरम् | गुहम् | निषादाधिपतिम् प्रियम् |
||
तृ.वि | पौरैः दशरथेन |
पित्रा |
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च.वि | ||||||
प.वि | ||||||
ष.वि | ||||||
स.वि | शृङ्गवेरपुरे गङ्गाकूले |
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अव्ययम् | च | |||||
अन्वयः | पौरैः पित्रा दशरथेन च दूरम् अनुगतः शृङ्गवेरपुरे गङ्गाकूले निषादाधिपतिं प्रियं गुहम् आसाद्य धर्मात्मा सूतं व्यसर्जयत् । | |||||
तात्पर्यम् | The righteous Rāma, who was followed for a distance by the citizens and father Daśaratha, who having met the beloved Guha, the king of the hunter tribe, in Śṛṅgaverapura, on the banks of the river Gaṅgā, sent back the charioteer. | |||||
अन्वयरचना |
व्यसर्जयत्
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