शिक्षा - सुभाषितम् #16
फलमलमशनाय स्वादु पानाय तोयं
क्षितिरपि शयनार्थं वाससे वल्कलं च ।
नवधनमधुपानभ्रान्तसर्वेन्द्रियाणाम्
अविनयमनुमन्तुं नोत्सहे दुर्जनानाम् ॥
पदविभागः | विवरणम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
फलम् | फल / नपुं / प्र.वि / ए.व | fruit |
अलम् | अव्ययम् | enough |
अशनाय |
अशन / नपुं / च.वि / ए.व पदविवरणम् :- अश् + ल्युट् = अशन / नपुं |
for food |
स्वादु | स्वादु / नपुं / प्र.वि / ए.व | sweet |
पानाय |
पान / नपुं / च.वि / ए.व पदविवरणम् :- पा + ल्युट् = पान / नपुं |
for drink |
तोयम् | तोय / नपुं / प्र.वि / ए.व | water |
क्षितिः |
क्षिति / स्त्री / प्र.वि / ए.व पदविवरणम् :- क्षि + निवासे आधारे क्तिन् = क्षिति / स्त्री |
earth |
अपि | अव्ययम् | also |
शयनार्थम् |
शयन + अर्थम् = शयनार्थम् / अव्ययम् पदविवरणम् :- शी + ल्युट् = शयन / नपुं |
for sleep |
वाससे |
वासस् / नपुं ? / च.वि / ए.व पदविवरणम् :- वस् + आछादने असि णिञ्च = वासस् / नपुं ? |
for clothing |
वल्कलम् | वल्कल / नपुं / प्र.वि / ए.व | bark of the tree |
च | अव्ययम् | and |
नवधनमधुपानभ्रान्तसर्वेन्द्रियाणाम् |
नवधनमधुपानभ्रान्तसर्वेन्द्रिय / नपुं / ष.वि / ब.व समासविवरणम् :- नव + धन = नवधन / नपुं नवधन + मधु = नवधनमधु / पुं नवधनमधु + पान = नवधनमधुपान / नपुं नवधनमधुपान + भ्रान्त = नवधनमधुपानभ्रान्त / पुं नवधनमधुपानभ्रान्त + सर्व = नवधनमधुपानभ्रान्तसर्व / पुं नवधनमधुपानभ्रान्तसर्व + इन्द्रिय = नवधनमधुपानभ्रान्तसर्वइन्द्रिय / नपुं |
whose all senses have been maddened by the enjoyment of newly acquired wealth, which has proven a wine to them |
अविनयम् |
अविनयम् / नपुं / द्वि.वि / ए.व पदविवरणम् :- आङ् + वि + नी + ल्युट् = अविनयम् / नपुं |
the act of being rude |
अनुमन्तुम् |
अनुमन्तुम् / अव्ययम् पदविवरणम् :- अनु + मन् + तुमुँन् = अनुमन्तुम् / अव्ययम् |
to permit / allow |
न उत्सहे |
न उत् + सहे / उ.पु / ए.व पदविवरणम् :- न / अव्ययम् |
not enthusiastic |
दुर्जनानाम् |
दुर्जन / पुं / ष.वि / ब.व पदविवरणम् :- जन् + अच् = जन / पुं दुर् + जन् + अच् = दुर्जन / पुं |
of wicked / bad people |
अन्वयः (Prose order) | तात्पर्यम् (Purport) |
---|---|
अशनाय फलम् अलम् (अस्ति) । |
Fruit is enough for food. |
पानाय स्वादु तोयम् अलम् (अस्ति) । |
Sweet water is enough for drink. |
शयनार्थं क्षितिः अलम् (अस्ति) । |
Earth (bare ground) is enough for sleeping. |
वाससे वल्कलं च अपि अलम् (अस्ति) । |
And also, tree bark is enough for clothing. |
नवधनमधुपानभ्रान्तसर्वेन्द्रियाणां दुर्जनानाम् |
The wicked, whose all senses have been maddened by the enjoyment of newly acquired wealth, which has proven a wine to them |
(तेषाम्) अविनयम् | those people's rudeness |
अनुमन्तुं न उत्सहे । |
I am not enthusiastic to permit / allow. |
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