भगवद्गीता ॥०१.१८॥ WIP
द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वश: पृथिवीपते ।
सौभद्रश्च महाबाहु: शङ्खान्दध्मु: पृथक्पृथक् ॥
| पदविभागः | विवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
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| विवरणानि | क्रियापदानि | |
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