भगवद्गीता ॥०१.१७॥ WIP
काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: ।
धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: ॥
पदविभागः | विवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
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विवरणानि | क्रियापदानि | |
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