शिक्षा - सूक्तिः #10
उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य वरान्निबोधत ।
पदविभागः | पदविवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
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उत्तिष्ठत |
उत् + स्था + कर्तरि लोँट् / म.पु / ब.व धातुविवरणम् :- स्था [ष्ठा गतिनिवृत्तौ ; भ्वादिः ; परस्मैपदी ; अकर्मकः ; अनिट्] (to stay, to stand) |
let (you all) arise |
जाग्रत |
जागृ + कर्तरि लोँट् / म.पु / ब.व (= जागृत) ( जाग्रत इति आर्ष-प्रयोगः । ) धातुविवरणम् :- जागृ [जागृ निद्राक्षये ; अदादिः ; परस्मैपदी ; अकर्मकः ; सेट्] (to be awake, to abandon sleep, to be watchful) |
let (you all) awake |
प्राप्य |
प्राप्य / अव्ययम् धातुविवरणम् :- आप् [आपॢँ व्याप्तौ ; स्वादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to obtain, to pervade, to occupy, to reach, to get) पदविवरणम् :- प्र + आप् + ल्यप् = प्राप्य / अव्ययम् (= having sought) |
having sought |
वरान् | वर / पुं / द्वि.वि / ब.व | best (of men) |
निबोधत |
नि + बुध् + कर्तरि लोँट् / म.पु / ब.व धातुविवरणम् :- बुध् [बुधँ अवगमने ; दिवादिः ; आत्मनेपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to know, to understand) |
let (you all) learn |
विषयः | विवरणम् |
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अन्वयः | (यूयम्) उत्तिष्ठत । (यूयम्) जाग्रत । (यूयम्) वरान् प्राप्य निबोधत । |
Purport | Let (you all) arise. Let (you all) awake. Having sought the best (of men), let (you all) learn. |
Could the purport also be - Having sought to be the best of men, awake, arise and learn
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