परिचयः - सूक्तिः #09
इन्द्रोऽपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितैर्गुणैः ।
पदविभागः | पदविवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
इन्द्रः | इन्द्र / पुं / प्र.वि / ए.व | Lord Indra |
अपि | अपि / अव्ययम् | also, even |
लघुताम् |
लघुता / स्त्री / द्वि.वि / ए.व पदविवरणम् :- लघु + तल् [तद्धित] = लघुता / स्त्री (-ता) (= smallness, meanness, fickleness, insignificance) |
insignificant |
याति |
या + कर्तरि लँट् / प्र.पु / ए.व धातुविवरणम् :- या [या प्रापणे ; अदादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to go, to pass) |
go |
स्वयम् | स्वयम् / अव्ययम् | of one's own self, on own accord |
प्रख्यापितैः |
प्रख्यापित / पुं / तृ.वि / ब.व धातुविवरणम् :- ख्या [ख्या प्रकथने ; अदादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to explain, to make famous, to elocute) पदविवरणम् :- प्र + ख्या + णिच् + क्त = प्रख्यापित / त्रि (-तः-ता-तं) (= cause to be declared) |
by causing to be declared |
गुणैः |
गुण / पुं / तृ.वि / ब.व धातुविवरणम् :- गुण [गुण आमन्त्रणे ; चुरादिः ; उभयपदी ; सकर्मकः ; सेट्] (to invite, to call, to sign, to speak intelligently) पदविवरणम् :- गुण + अच् = गुण / त्रि (-णः-णा-णं) (= quality, attribute) |
by the quality, by the attribute |
विषयः | विवरणम् |
---|---|
अन्वयः | स्वयं प्रख्यापितैः गुणैः इन्द्रः अपि लघुतां याति । |
Purport | By declaring on his own accord about his merits, even Lord Indra goes insignificant. |
Comments
Post a Comment