कोविदः - सूक्तिः #09
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत् ।
| पदविभागः | पदविवरणम् | प्रतिपदार्थम् | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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| उद्धरेत् |
उत् + धृ + कर्तरि विधिलिँङ् / प्र.पु / ए.व धातुविवरणम् :- धृ [धृञ् धारणे ; भ्वादिः ; उभयपदी ; द्विकर्मकः ; अनिट्] (to wear, to support, to possess, to hold) |
should improve | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| आत्मना |
आत्मन् / पुं / तृ.वि / ए.व
|
by oneself | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| आत्मानम् | आत्मन् / पुं / द्वि.वि / ए.व | self | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| आत्मानम् | आत्मन् / पुं / द्वि.वि / ए.व | self | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| न अवसादयेत् |
अव + सद् + णिच् + कर्तरि विधिलिँङ् / प्र.पु / ए.व धातुविवरणम् :- सद् [षदॢँ विशरणगत्यवसादनेषु ; भ्वादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to go, to lose power, to be tired, to dry up, to destroy, to wither, to despond, to lose interest) |
should not be degraded |
| विषयः | विवरणम् |
|---|---|
| अन्वयः | आत्मना आत्मानम् उद्धरेत् । आत्मानम् न अवसादयेत् । |
| तात्पर्यम् | स्वस्य अभिवृद्ध्यर्थं स्वयमेव प्रयत्नं करणीयम् । स्वस्य हानिकराणि कर्माणि न कुर्यात् । |
| Purport | One must improve oneself by one's own effort, and one should not destroy oneself. |
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