शिक्षा - अन्वयरचना #01
परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः
परोपकाराय वहन्ति नद्यः ।
परोपकाराय दुहन्ति गावः
परोपकारार्थमिदं शरीरम् ॥
पदविभागः | विवरणम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
परोपकाराय |
परोपकार / पुं / च.वि / ए.व धातुविवरणम् :- कृ [डुकृञ् करणे ; तनादिः ; उभयपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to do, to act, to make) पदविवरणम् :- पर / पुं (= other) उप + कृ + घञ् = उपकार / पुं (= help, assistance) समासविवरणम् :- [षष्ठी-तत्पुरुष-समासः] परस्य उपकारः = परोपकारः (= for other's sake) |
for other's sake |
फलन्ति |
फल् + कर्तरि लँट् / प्र.पु / ब.व धातुविवरणम् :- फल् [फलँ निष्पत्तौ ; भ्वादिः ; परस्मैपदी ; अकर्मकः ; सेट्] (to succeed, to complete, to conclude, to get good results) |
bear fruit |
वृक्षाः | वृक्ष / पुं / प्र.वि / ब.व | the trees |
परोपकाराय |
परोपकार / पुं / च.वि / ए.व धातुविवरणम् :- कृ [डुकृञ् करणे ; तनादिः ; उभयपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to do, to act, to make) पदविवरणम् :- पर / पुं (= other) उप + कृ + घञ् = उपकार / पुं (= help, assistance) समासविवरणम् :- [षष्ठी-तत्पुरुष-समासः] परस्य उपकारः = परोपकारः (= for other's sake) |
for other's sake |
वहन्ति |
वह् + कर्तरि लँट् / प्र.पु / ब.व धातुविवरणम् :- वह् [वहँ प्रापणे ; भ्वादिः ; उभयपदी ; द्विकर्मकः ; अनिट्] (to flow, to propel, to carry, to haul, to drag) |
carry water, flow |
नद्यः | नदी / स्त्री / प्र.वि / ब.व | the rivers |
परोपकाराय |
परोपकार / पुं / च.वि / ए.व धातुविवरणम् :- कृ [डुकृञ् करणे ; तनादिः ; उभयपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to do, to act, to make) पदविवरणम् :- पर / पुं (= other) उप + कृ + घञ् = उपकार / पुं (= help, assistance) समासविवरणम् :- [षष्ठी-तत्पुरुष-समासः] परस्य उपकारः = परोपकारः (= for other's sake) |
for other's sake |
दुहन्ति |
दुह् + कर्तरि लँट् / प्र.पु / ब.व धातुविवरणम् :- दुह् [दुहँ प्रपूरणे ; अदादिः ; उभयपदी ; द्विकर्मकः ; अनिट्] (to milk, to extract) |
yield milk |
गावः | गो / पुं / प्र.वि / ब.व | the cows |
परोपकारार्थम् |
परोपकारार्थ / पुं / द्वि.वि / ए.व धातुविवरणम् :- कृ [डुकृञ् करणे ; तनादिः ; उभयपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to do, to act, to make) पदविवरणम् :- पर / पुं (= other) उप + कृ + घञ् = उपकार / पुं (= help, assistance) अर्थ / पुं (= purpose) समासविवरणम् :- [षष्ठी-तत्पुरुष-समासः] परस्य उपकारः = परोपकारः (= for other's sake) [चतुर्थी-तत्पुरुष-समासः] परोपकाराय इदम् = परोपकारार्थम् (= this, for other's sake) |
for other's sake |
इदम् | इदम् / नपुं / प्र.वि / ए.व | this |
शरीरम् | शरीर / नपुं / प्र.वि / ए.व | body |
विवरणानि | क्रियापदानि | |||||||
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प्रधानक्रिया 1 (फलन्ति) | प्रधानक्रिया 2 (वहन्ति) | प्रधानक्रिया 3 (दुहन्ति) | प्रधानक्रिया 4 (अस्ति) | |||||
विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | |
प्र.वि | वृक्षाः | नद्यः | गावः | शरीरम् | इदम् | |||
स.प्र.वि | ||||||||
द्वि.वि | परोपकारार्थम् | |||||||
तृ.वि | ||||||||
च.वि | परोपकाराय | परोपकाराय | परोपकाराय | |||||
प.वि | ||||||||
ष.वि | ||||||||
स.वि | ||||||||
अव्ययम् | ||||||||
अन्वयः | वृक्षाः परोपकाराय फलन्ति । नद्यः परोपकाराय वहन्ति । गावः परोपकाराय दुहन्ति । इदं शरीरम् (अपि) परोपकारार्थम् (अस्ति) । | |||||||
Purport | The trees bear fruit, for the sake of others. The rivers carry water, for the sake of others. The cows yield milk, for the sake of others. This body (is also) for the sake of others. | |||||||
अन्वयरचना |
फलन्ति
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