भगवद्गीता ॥०१.३२॥ WIP
किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा ।
येषामर्थे काङ्क्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च ॥
पदविभागः | विवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
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विवरणानि | क्रियापदानि | |
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