भगवद्गीता ॥०१.३०॥
न च शक्नोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः ।
निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव ॥
| पदविभागः | विवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
|---|---|---|
| न | अव्ययम् | not |
| च | अव्ययम् | and |
| शक्नोमि | शक् + कर्तरि लँट् / उ.पु / ए.व | I'am able |
| अवस्थातुं | अव + स्था + तुमुँन् / अव्ययम् | to remain, to stay |
| भ्रमति | भ्रम् + कर्तरि लँट् / प्र.पु / ए.व | spinning, reeling, wandering |
| इव | अव्ययम् | like |
| च | अव्ययम् | and |
| मे | अस्मद् / त्रि / ष.वि / ए.व | my |
| मनः | मनस् / नपुं / प्र.वि / ए.व | mind |
| निमित्तानि | नि + मि + क्त / नपुं / द्वि.वि / ब.व | signs, omens |
| च | अव्ययम् | and |
| पश्यामि | दृश् + कर्तरि लँट् / उ.पु / ए.व | I see |
| विपरीतानि | वि + परि + इ + क्त / नपुं / द्वि.वि / ब.व | adverse, contrary, misfortune |
| केशव | हे केशव / पुं / स.प्र.वि / ए.व | O killer of the Keśī demon (Kṛṣṇa) |
| विवरणानि | क्रियापदानि | |||||
|---|---|---|---|---|---|---|
| प्रधानक्रिया #1 (न शक्नोमि) | प्रधानक्रिया #2 (भ्रमति) | प्रधानक्रिया #3 (पश्यामि) | ||||
| विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | |
| प्र.वि | (अहम्) | मनः | (अहम्) | |||
| स.प्र.वि | हे केशव! | |||||
| द्वि.वि | निमित्तानि | विपरीतानि | ||||
| तृ.वि | ||||||
| च.वि | ||||||
| प.वि | ||||||
| ष.वि | मे | |||||
| स.वि | ||||||
| अव्ययम् | अवस्थातुं च |
इव च |
च | |||
| अन्वयः | हे केशव! (अहम्) अवस्थातुं न शक्नोमि । मे मनः इव भ्रमति च । विपरीतानि निमित्तानि पश्यामि च । | |||||
| तात्पर्यम् | O Kṛṣṇa, killer of the Keśī demon, I am unable to stand. And, my mind is reeling. And, I see signs of misfortune. | |||||
| अन्वयरचना |
न शक्नोमि
|
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