भगवद्गीता ॥०१.१५॥ WIP
पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जयः ।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः ॥
पदविभागः | विवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
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विवरणानि | क्रियापदानि | |
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