भगवद्गीता ॥०१.१२॥
तस्य संजनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः ।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् ॥
पदविभागः | विवर्णम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
तस्य | तद् / पुं / ष.वि / ए.व | for him |
संजनयन् |
सञ्जनयत् (वा) संजनयत् / पुं / प्र.वि / ए.व धातुविवरणम् :- जन् [जनँ जनने ; जुहोत्यादिः ; परस्मैपदी ; अकर्मकः ; सेट्] (to create, to procreate, to make) पदविवरणम् :- सम् + जन् + णिच् + शतृँ = सञ्जनयत् (वा) संजनयत् / त्रि (यन्-यन्ती-यत्) (= causing to generate) |
causing to generate |
हर्षम् |
हृष / पुं / द्वि.वि / ए.व धातुविवरणम् :- हृष् [हृषँ तुष्टौ ; दिवादिः ; परस्मैपदी ; अकर्मकः ; सेट्] (to be delighted, to rejoice, to be happy, to fill with pleasure) पदविवरणम् :- हृष् + घञ् = हर्ष / पुं (= elation, happiness) |
happiness |
कुरुवृद्धः |
कुरुवृद्ध / पुं / प्र.वि / ए.व धातुविवरणम् :- वृध् [वृधुँ वृद्धौ ; भ्वादिः ; आत्मनेपदी ; अकर्मकः ; सेट्] (to increase, to grow, to prosper) पदविवरणम् :- कुरु / पुं (= Kuru) वृध् + क्त = वृद्ध / त्रि (-द्धः-द्धा-द्धं) (= old, aged) समासविवरणम् :- [षष्ठ्यर्थ-समानाधिकरण-बहुव्रीहिसमासः] कुरूणां वृद्धः यस्य सः = कुरुवृद्धः (= he, who is the older statesman of Kuru dynasty) |
he, who is the older statesman of Kuru dynasty |
पितामहः | पितामह / पुं / प्र.वि / ए.व | grand father |
सिंहनादम् |
सिंहनाद / पुं / द्वि.वि / ए.व धातुविवरणम् :- नद् [णदँ अव्यक्ते शब्दे ; भ्वादिः ; परस्मैपदी ; अकर्मकः ; सेट्] (to thunder, to road, to make a loud sound) पदविवरणम् :- सिंह / पुं (= lion) नद् + घञ् = नाद / पुं (= sound [in general], roar, shout, cry, bellow) समासविवरणम् :- [षष्ठीतत्पुरुषसमासः] सिंहस्य नादः = सिंहनादः (= roar of a lion) |
roar of a lion |
विनद्य |
विनद्य / अव्ययम् धातुविवरणम् :- नद् [णदँ अव्यक्ते शब्दे ; भ्वादिः ; परस्मैपदी ; अकर्मकः ; सेट्] (to thunder, to road, to make a loud sound) पदविवरणम् :- वि + नद् + ल्यप् = विनद्य / अव्ययम् (= having sounded) |
having sounded |
उच्चैः | अव्ययम् | loudly |
शङ्खम् | शङ्ख / पुं / द्वि.वि / ए.व | conch |
दध्मौ |
ध्मा + कर्तरि लिँट् / प्र.पु / ए.व धातुविवरणम् :- ध्मा [ध्मा शब्दाग्निसंयोगयोः ; भ्वादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to blow, to breathe out, to produce sound by blowing, to blow a fire, to manufacture by blowing, to play a conch) |
blew |
प्रतापवान् |
प्रतापवत् / पुं / प्र.वि / ए.व धातुविवरणम् :- तप् [तपँ सन्तापे ; भ्वादिः ; परस्मैपदी ; सकर्मकः ; अनिट्] (to be angry, to burn, to become hot, to envy, to glow, to shine, to perform penance, to heat, to suffer pain, to hurt) तप् [तपँ ऐश्वर्ये ; दिवादिः ; आत्मनेपदी ; अकर्मकः ; अनिट्] (to be powerful) पदविवरणम् :- प्र + तप् + घञ् = प्रताप / पुं (= glow, shine, powerful) प्रताप + मतुँप् = प्रतापवत् / त्रि (-वान्-वती-वत्) (= one who is glorious, powerful) |
one who is glorious, powerful |
विवरणानि | क्रियापदानि | |||||
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प्रधानक्रिया (दध्मौ) | गौणक्रिया (संजनयन्) | गौणक्रिया (विनद्य) | ||||
विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | विशेष्यम् | विशेषणम् | |
प्र.वि | पितामहः | कुरुवृद्धः प्रतापवान् |
(पितामहः) | (पितामहः) | ||
स.प्र.वि | ||||||
द्वि.वि | शङ्खम् | हर्षम् | सिंहनादम् | |||
तृ.वि | ||||||
च.वि | ||||||
प.वि | ||||||
ष.वि | तस्य | |||||
स.वि | ||||||
अव्ययम् | उच्चैः | (उच्चैः) | ||||
अन्वयः | प्रतापवान् कुरुवृद्धः पितामहः तस्य हर्षं संजनयन् सिंहनादं (उच्चैः) विनद्य शङ्खं उच्चैः दध्मौ । | |||||
Purport | The glorious, old statesman of Kuru dynasty, grand father (Bhīṣmā), causing to generate happiness in Duryodhana, having (loudly) roared like a lion, blew his conch loudly. | |||||
अन्वयरचना |
दध्मौ
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