॥ स्वर-सन्धिः ॥
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॥ स्वर~सन्धिः ॥
स्वर-सन्धिः | परपदस्य आदौ-वर्णः | |||||||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ऋ | ॠ | ऌ | ए | ऐ | ओ | औ | ||
पूर्वपदस्य अन्तिम-वर्णः
|
अ | अ + अ = आ |
अ + आ = आ |
अ + इ = ए |
अ + ई = ए |
अ + उ = ओ |
अ + ऊ = ओ |
अ + ऋ = अर् |
अ + ॠ = अर् |
अ + ऌ = अल् |
अ + ए = ए |
अ + ऐ = ऐ |
अ + ओ = ओ |
अ + औ = औ |
अ + ए = ऐ |
अ + ओ = औ |
|||||||||||||
आ | आ + अ = आ |
आ + आ = आ |
आ + इ = ए |
आ + ई = ए |
आ + उ = ओ |
आ + ऊ = ओ |
आ + ऋ = अर् |
आ + ॠ = अर् |
आ + ऌ = अल् |
आ + ए = ऐ |
आ + ऐ = ऐ |
आ + ओ = औ |
आ + औ = औ |
|
इ | इ + अ = य |
इ + आ = या |
इ + इ = ई |
इ + ई = ई |
इ + उ = यु |
इ + ऊ = यू |
इ + ऋ = यृ |
इ + ॠ = यॄ |
इ + ऌ = य्ऌ |
इ + ए = ये |
इ + ऐ = यै |
इ + ओ = यो |
इ + औ = यौ |
|
ई | ई + अ = य |
ई + आ = या |
ई + इ = ई |
ई + ई = ई |
ई + उ = यु |
ई + ऊ = यू |
ई + ऋ = यृ |
ई + ॠ = यॄ |
ई + ऌ = य्ऌ |
ई + ए = ये |
ई + ऐ = यै |
ई + ओ = यो |
ई + औ = यौ |
|
उ | उ + अ = व |
उ + आ = वा |
उ + इ = वि |
उ + ई = वी |
उ + उ = ऊ |
उ + ऊ = ऊ |
उ + ऋ = वृ |
उ + ॠ = वॄ |
उ + ऌ = व्ऌ |
उ + ए = वे |
उ + ऐ = वै |
उ + ओ = वो |
उ + औ = वौ |
|
ऊ | ऊ + अ = व |
ऊ + आ = वा |
ऊ + इ = वि |
ऊ + ई = वी |
ऊ + उ = ऊ |
ऊ + ऊ = ऊ |
ऊ + ऋ = वृ |
ऊ + ॠ = वॄ |
ऊ + ऌ = व्ऌ |
ऊ + ए = वे |
ऊ + ऐ = वै |
ऊ + ओ = वो |
ऊ + औ = वौ |
|
ऋ | ऋ + अ = र |
ऋ + आ = रा |
ऋ + इ = रि |
ऋ + ई = री |
ऋ + उ = रु |
ऋ + ऊ = रू |
ऋ + ऋ = ॠ |
ऋ + ॠ = ॠ |
ऋ + ऌ = ॠ |
ऋ + ए = रे |
ऋ + ऐ = रै |
ऋ + ओ = रो |
ऋ + औ = रौ |
|
ॠ | ॠ + अ = र |
ॠ + आ = रा |
ॠ + इ = रि |
ॠ + ई = री |
ॠ + उ = रु |
ॠ + ऊ = रू |
ॠ + ऋ = ॠ |
ॠ + ॠ = ॠ |
ॠ + ऌ = ॠ |
ॠ + ए = रे |
ॠ + ऐ = रै |
ॠ + ओ = रो |
ॠ + औ = रौ |
|
ऌ | ऌ + अ = ल |
ऌ + आ = ला |
ऌ + इ = लि |
ऌ + ई = ली |
ऌ + उ = लु |
ऌ + ऊ = लू |
ऌ + ऋ = ॠ |
ऌ + ॠ = ॠ |
ऌ + ऌ = ॠ |
ऌ + ए = ले |
ऌ + ऐ = लै |
ऌ + ओ = लो |
ऌ + औ = लौ |
|
ए | ए + अ = एऽ (पदान्ते) |
ए + आ = अया |
ए + इ = अयि |
ए + ई = अयी |
ए + उ = अयु |
ए + ऊ = अयू |
ए + ऋ = अयृ |
ए + ॠ = अयॄ |
ए + ऌ = अय्ऌ |
ए + ए = अये |
ए + ऐ = अयै |
ए + ओ = अयो |
ए + औ = अयौ |
|
ए + अ = अय (पदमध्ये) |
||||||||||||||
ऐ | ऐ + अ = आय |
ऐ + आ = आया |
ऐ + इ = आयि |
ऐ + ई = आयी |
ऐ + उ = आयु |
ऐ + ऊ = आयू |
ऐ + ऋ = आयृ |
ऐ + ॠ = आयॄ |
ऐ + ऌ = आय्ऌ |
ऐ + ए = आये |
ऐ + ऐ = आयै |
ऐ + ओ = आयो |
ऐ + औ = आयौ |
|
ओ | ओ + अ = ओऽ (पदान्ते) |
ओ + आ = अवा |
ओ + इ = अवि |
ओ + ई = अवी |
ओ + उ = अवु |
ओ + ऊ = अवू |
ओ + ऋ = अवृ |
ओ + ॠ = अवॄ |
ओ + ऌ = अव्ऌ |
ओ + ए = अवे |
ओ + ऐ = अवै |
ओ + ओ = अवो |
ओ + औ = अवौ |
|
ओ + अ = अव (पदमध्ये) |
||||||||||||||
औ | औ + अ = आव |
औ + आ = आवा |
औ + इ = आवि |
औ + ई = आवी |
औ + उ = आवु |
औ + ऊ = आवू |
औ + ऋ = आवृ |
औ + ॠ = आवॄ |
औ + ऌ = आव्ऌ |
औ + ए = आवे |
औ + ऐ = आवै |
औ + ओ = आवो |
औ + औ = आवौ |
सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः
Savarṇa-dīrgha-sandhi
- सन्धि-विवरणम् । Sandhi description
-
सवर्ण-दीर्घ-सन्धेः कोष्टम् ।
Savarṇa-dīrgha-sandhi's table
-
पूर्ववर्णः
(स्थानी / निमित्तम्)+ परवर्णः
(स्थानी / निमित्तम्)= आदेशः
(सन्धिकार्यम्)अ / आ + अ / आ = आ इ / ई इ / ई ई उ / ऊ उ / ऊ ऊ ऋ / ॠ / ऌ ऋ / ॠ / ऌ ॠ
- सवर्णस्य दीर्घः एव द्वनि-परिवर्तनस्य अन्तिम-विकारः भवति । अतः सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः इति नामधेयम् । Longer of similar vowels is the end result of the sound transformation. Hence the name savarṇa-dīrgha-sandhi.
- सवर्णः इत्युक्ते समान-वर्णः सदृश-वर्णः । Savarṇa means similar letter.
- अधः दत्ताः स्वराः सवर्णाः । अतः सवर्ण-स्वराः इति कथ्यन्ते । Vowels given below are similar. Hence they are called similar vowels.
- अ, आ a, ā
- इ, ई i, ī
- उ, ऊ u, ū
- ऋ, ॠ, ऌ ṛ, ṝ, ḷ
- सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः एकादेश-सन्धिः । Savarṇa-dīrgha-sandhi is an Ekādeśa-sandhi.
- द्वयोः वर्णयोः स्थाने एकः वर्णः आदेशः भवति चेत् सा एकादेश-सन्धिः । In the place of 2 letters, if 1 letter is replaced, it is called Ekādeśa-sandhi.
- तिस्रः एकादेश-सन्धयः भवन्ति । ताः --- There are 3 Ekādeśa-sandhis. They are ---
- सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः । Savarṇa-dīrgha-sandhi
- गुण-सन्धिः । Guṇa-sandhi
- वृद्धि-सन्धिः । Vṛddhi-sandhi
- सन्धिकार्यं पदमध्ये पदान्ते भवितुम् अर्हति । Savarṇa-dīrgha-sandhi can happen either in the middle of the word or at the end of the word.
- उदाहरणानि । Examples
- अ/आ + अ/आ = आ
- मम + अपनुद्यात् = ममापनुद्यात्
- मम + अपनुद्यात्
- = मम् + (अ + अ ⇒ आ) + पनुद्यात् [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = ममापनुद्यात्
- पूर्ण + आकुल = पूर्णाकुल
- पूर्ण + आकुल
- = पूर्ण् + (अ + आ ⇒ आ) + कुल [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = पूर्णाकुल
- पूजा + अर्हौ = पूजार्हौ
- पूजा + अर्हौ
- = पूज् + (आ + अ ⇒ आ) + र्हौ [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = पूजार्हौ
- कृपया + आविष्टम् = कृपयाविष्टम्
- कृपया + आविष्टम्
- = कृपय् + (आ + आ ⇒ आ) + विष्टम् [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = कृपयाविष्टम्
- इ/ई + इ/ई = ई
- अपि + इह = अपीह
- अपि + इह
- = अप् + (इ + इ ⇒ ई) + ह [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = अपीह
- गिरि + ईशः = गिरीशः
- गिरि + ईशः
- = गिर् + (इ + ई ⇒ ई) + शः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = गिरीशः
- वाणी + इयम् = वाणीयम्
- वाणी + इयम्
- = वाण् + (ई + इ ⇒ ई) + यम् [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = वाणीयम्
- लक्ष्मी + ईशः = लक्ष्मीशः
- लक्ष्मी + ईशः
- = लक्ष्म् + (ई + ई ⇒ ई) + शः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = लक्ष्मीशः
- उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
- सु + उक्तम् = सूक्तम्
- सु + उक्तम्
- = स् + (उ + उ ⇒ ऊ) + क्तम् [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = सूक्तम्
- साधु + ऊचुः = साधूचुः
- साधु + ऊचुः
- = साध् + (उ + ऊ ⇒ ऊ) + चुः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = साधूचुः
- वधू + उक्तिः = वधूक्तिः
- वधू + उक्तिः
- = वध् + (ऊ + उ ⇒ ऊ) + क्तिः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = वधूक्तिः
- वधू + ऊर्मिका = वधूर्मिका
- वधू + ऊर्मिका
- = वध् + (ऊ + ऊ ⇒ ऊ) + र्मिका [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = वधूर्मिका
- ऋ/ॠ/ऌ + ऋ/ॠ/ऌ = ॠ
- होतृ + ऋकारः = होतॄकारः
- होतृ + ऋकारः
- = होत् + (ऋ + ऋ ⇒ ॠ) + कारः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = होतॄकारः
- होतृ + ॠकारः = होतॄकारः
- होतृ + ॠकारः
- = होत् + (ऋ + ॠ ⇒ ॠ) + कारः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = होतॄकारः
- होतृ + ऌकारः = होतॄकारः
- होतृ + ऌकारः
- = होत् + (ऋ + ऌ ⇒ ॠ) + कारः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = होतॄकारः
- [अभ्यासः] सन्धिं कुरुत । [Exercise] Perform the sandhi
- अ/आ + अ/आ
- अन्वय + अर्थः
- अन्वय + अर्थः
- = अन्वय् + (अ + अ ⇒ आ) + र्थः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = अन्वयार्थः
- रस + आस्वादः
- रस + आस्वादः
- = रस् + (अ + आ ⇒ आ) + स्वादः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = रसास्वादः
- सुधा + अर्णवः
- सुधा + अर्णवः
- = सुध् + (आ + अ ⇒ आ) + र्णवः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = सुधार्णवः
- विद्या + आतुरः
- विद्या + आतुरः
- = विद्य् + (आ + आ ⇒ आ) + तुरः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = विद्यातुरः
- इ/ई + इ/ई
- मुनि + इन्द्रः
- मुनि + इन्द्रः
- = मुन् + (इ + इ ⇒ ई) + न्द्रः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = मुनीन्द्रः
- कवि + ईश्वरः
- कवि + ईश्वरः
- = कव् + (इ + ई ⇒ ई) + श्वरः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = कवीश्वरः
- पृथिवी + इन्दुः
- पृथिवी + इन्दुः
- = पृथिव् + (ई + इ ⇒ ई) + न्दुः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = पृथिवीन्दुः
- मही + ईशः
- मही + ईशः
- = मह् + (ई + ई ⇒ ई) + शः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = मही + ईशः
- उ/ऊ + उ/ऊ
- गुरु + उपदेशः
- गुरु + उपदेशः
- = गुर् + (उ + उ ⇒ ऊ) + पदेशः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = गुरूपदेशः
- गुरु + ऊधः
- गुरु + ऊधः
- = गुर् + (उ + ऊ ⇒ ऊ) + धः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = गुरूधः
- वधू + उत्सवः
- वधू + उत्सवः
- = वध् + (ऊ + उ ⇒ ऊ) + त्सवः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = वधूत्सवः
- वधू + ऊतिः
- वधू + ऊतिः
- = वध् + (ऊ + ऊ ⇒ ऊ) + तिः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = वधूतिः
- ऋ/ॠ/ऌ + ऋ/ॠ/ऌ
- पितृ + ऋणम्
- पितृ + ऋणम्
- = पित् + (ऋ + ऋ ⇒ ॠ) + णम् [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = पितॄणम्
- [अभ्यासः] सन्धि-विच्छेदं कुरुत । [Exercise] Split the sandhi
- अ/आ + अ/आ
- वृद्धावस्थायाम्
- वृद्ध + अवस्थायाम्
- = वृद्ध् + (अ + अ ⇒ आ) + वस्थायाम् [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = वृद्धावस्थायाम्
- दर्भासनम्
- दर्भ + आसनम्
- = दर्भ् + (अ + आ ⇒ आ) + सनम् [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = दर्भासनम्
- विद्याभ्यासः
- विद्या + अभ्यासः
- = विद्य् + (आ + अ ⇒ आ) + भ्यासः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = विद्याभ्यासः
- विद्यालयः
- विद्या + आलयः
- = विद्य् + (आ + आ ⇒ आ) + लयः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = विद्यालयः
- इ/ई + इ/ई
- इतीदम्
- इति + इदम्
- = इत् + (इ + इ ⇒ ई) + दम् [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = इतीदम्
- अग्नीश्वरः
- अग्नि + ईश्वरः
- = अग्न् + (इ + ई ⇒ ई) + श्वरः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = अग्नीश्वरः
- महतीच्छा
- महती + इच्छा
- = महत् + (ई + इ ⇒ ई) + च्छा [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = महतीच्छा
- श्रीशः
- श्री + ईशः
- = श्र् + (ई + ई ⇒ ई) + शः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = श्रीशः
- उ/ऊ + उ/ऊ
- लघूपहारः
- लघु + उपहारः
- = लघ् + (उ + उ ⇒ ऊ) + पहारः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = लघूपहारः
- लघूर्मिः
- लघु + ऊर्मिः
- = लघ् + (उ + ऊ ⇒ ऊ) + र्मिः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = लघूर्मिः
- वधूत्साहः
- वधू + उत्साहः
- = वध् + (ऊ + उ ⇒ ऊ) + त्साहः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = वधूत्साहः
- चमूर्जा
- चमू + ऊर्जा
- = चम् + (ऊ + ऊ ⇒ ऊ) + र्जा [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = चमूर्जा
- ऋ/ॠ/ऌ + ऋ/ॠ/ऌ
- कर्तॄद्धिः
- कर्तृ + ऋद्धिः
- = कर्त् + (ऋ + ऋ ⇒ ॠ) + द्धिः [ सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः (एकादेशः) § अकः सवर्णे दीर्घः ६.१.१०१ ]
- = कर्तॄद्धिः
गुण-सन्धिः
Guṇa-sandhi
- सन्धि-विवरणम् । Sandhi description
-
गुण-सन्धेः कोष्टम् ।
Guṇa-sandhi's table
-
पूर्ववर्णः
(स्थानी / निमित्तम्)+ परवर्णः
(स्थानी / निमित्तम्)= आदेशः
(सन्धिकार्यम्)अ / आ + इ / ई = ए उ / ऊ ओ ऋ / ॠ अर् ऌ अल्
- अत्र गुण-संज्ञायाः वर्णः एव द्वनि-परिवर्तनस्य अन्तिम-विकारः भवति । अतः गुण-सन्धिः इति नामधेयम् । Here, the letters defined by the term guṇa is the end result of the sound transformation. Hence the name guṇa-sandhi.
- गुण-संज्ञा = { ए , ओ , अर् , अल् } । The set "Guṇa" comprises of { e , o , ar , al }. Here, "Guṇa" is not a "word" that means quality or characteristic in the usual sense; rather, it is a "term" that refers to a set of letters.
- अदेङ् गुणः इति संज्ञा-सूत्रे { अ, ए, ओ } एतेषां त्रयाणां 'गुणः' इति संज्ञा भवति । The aphorism, adeṅ guṇaḥ, defines the term "Guṇa" that comprises of these 3 letters { e , o , a }.
- गुण-सन्धिः एकादेश-सन्धिः । Guṇa-sandhi is an Ekādeśa-sandhi.
- द्वयोः वर्णयोः स्थाने एकः वर्णः आदेशः भवति चेत् सा एकादेश-सन्धिः । In the place of 2 letters, if 1 letter is replaced, it is called Ekādeśa-sandhi.
- तिस्रः एकादेश-सन्धयः भवन्ति । ताः --- There are 3 Ekādeśa-sandhis. They are ---
- सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः । Savarṇa-dīrgha-sandhi
- गुण-सन्धिः । Guṇa-sandhi
- वृद्धि-सन्धिः । Vṛddhi-sandhi
- सन्धिकार्यं पदमध्ये पदान्ते भवितुम् अर्हति । Guṇa-sandhi can happen either in the middle of the word or at the end of the word.
- उदाहरणानि । Examples
- अ/आ + इ/ई = ए
- एव + इतरः = एवेतरः
- एव + इतरः
- = एव् + (अ + इ ⇒ ए) + तरः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = एवेतरः
- हृषीक + ईशः = हृषीकेशः
- हृषीक + ईशम्
- = हृषीक् + (अ + ई ⇒ ए) + शः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = हृषीकेशः
- माता + इव = मातेव
- माता + इव
- = मात् + (आ + इ ⇒ ए) + व [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = मातेव
- गुडाका + ईशः = गुडाकेशः
- गुडाका + ईशः
- = गुडाक् + (आ + ई ⇒ ए) + शः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = गुडाकेशः
- अ/आ + उ/ऊ = ओ
- शीत + उष्णः = शीतोष्णः
- शीत + उष्णः
- = शीत् + (अ + उ ⇒ ओ) + ष्णः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = शीतोष्णः
- पाद + ऊनम् = पादोनम्
- पाद + ऊनम्
- = पाद् + (अ + ऊ ⇒ ओ) + नम् [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = पादोनम्
- त्यक्त्वा + उत्तिष्ठ = त्यक्त्वोत्तिष्ठ
- त्यक्त्वा + उत्तिष्ठ
- = त्यक्त्व् + (आ + उ ⇒ ओ) + त्तिष्ठ [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = त्यक्त्वोत्तिष्ठ
- गङ्गा + ऊर्मिः = गङ्गोर्मिः
- गङ्गा + ऊर्मिः
- = गङ्ग् + (आ + ऊ ⇒ ओ) + र्मिः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = गङ्गोर्मिः
- अ/आ + ऋ/ॠ = अर्
- पुरुष + ऋषभ = पुरुषर्षभ
- पुरुष + ऋषभ
- = पुरुष् + (अ + ऋ ⇒ अर्) + षभ [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = पुरुषर्षभ
- मम + ॠकारः = ममर्कारः
- मम + ॠकारः
- = मम् + (अ + ॠ ⇒ अर्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = ममर्कारः
- महा + ऋषिः = महर्षिः
- महा + ऋषिः
- = मह् + (आ + ऋ ⇒ अर्) + षिः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = महर्षिः
- भवता + ॠकारः = भवतर्कारः
- भवता + ॠकारः
- = भवत् + (आ + ॠ ⇒ अर्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = भवतर्कारः
- अ/आ + ऌ = अल्
- मम + ऌकारः = ममल्कारः
- मम + ऌकारः
- = मम् + (अ + ऌ ⇒ अल्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = ममल्कारः
- भवता + ऌकारः = भवतल्कारः
- भवता + ऌकारः
- = भवत् + (आ + ऌ ⇒ अल्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = भवतल्कारः
- [अभ्यासः] सन्धिं कुरुत । [Exercise] Perform the sandhi
- अ/आ + इ/ई
- न + इच्छति
- न + इच्छति
- = न् + (अ + इ ⇒ ए) + च्छति [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = नेच्छति
- आकुल + ईक्षणम्
- आकुल + ईक्षणम्
- = आकुल् + (अ + ई ⇒ ए) + क्षणम् [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = आकुलेक्षणम्
- यथा + इष्टम्
- यथा + इष्टम्
- = यथ् + (आ + इ ⇒ ए) + ष्टम् [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = यथेष्टम्
- महा + ईश्वरः
- महा + ईश्वरः
- = मह् + (आ + ई ⇒ ए) + श्वरः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = महेश्वरः
- अ/आ + उ/ऊ
- प्र + उक्तम्
- प्र + उक्तम्
- = प्र् + (अ + उ ⇒ ओ) + क्तम् [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = प्रोक्तम्
- एक + ऊनविंशतिः
- एक + ऊनविंशतिः
- = एक् + (अ + ऊ ⇒ ओ) + नविंशतिः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = एकोनविंशतिः
- आत्मा + उपभोगः
- आत्मा + उपभोगः
- = आत्म्+ (आ + उ ⇒ ओ) + पभोगः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = आत्मोपभोगः
- यमुना + ऊर्मिः
- यमुना + ऊर्मिः
- = यमुन् + (आ + ऊ ⇒ ओ) + र्मिः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = यमुनोर्मिः
- अ/आ + ऋ/ॠ
- ग्रीष्म + ऋतुः
- ग्रीष्म + ऋतुः
- = ग्रीष्म्+ (अ + ऋ ⇒ अर्) + तुः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = ग्रीष्मर्तुः
- तव + ॠकारः
- तव + ॠकारः
- = तव् + (अ + ॠ ⇒ अर्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = तवर्कारः
- महा + ऋणम्
- महा + ऋणम्
- = मह्+ (आ + ऋ ⇒ अर्) + णम् [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = महर्णम्
- भवता + ॠकारः
- भवता + ॠकारः
- = भवत् + (आ + ॠ ⇒ अर्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = भवतर्कारः
- अ/आ + ऌ
- तव + ऌकारः
- तव + ऌकारः
- = तव् + (अ + ऌ ⇒ अल्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = तवल्कारः
- भवता + ऌकारः
- भवता + ऌकारः
- = भवत् + (आ + ऌ ⇒ अल्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = भवतल्कारः
- [अभ्यासः] सन्धि-विच्छेदं कुरुत । [Exercise] Split the sandhi
- अ/आ + इ/ई
- नरेन्द्रः
- नर + इन्द्रः
- = नर् + (अ + इ ⇒ ए) + न्द्रः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = नरेन्द्रः
- राजेश्वरी
- राज + ईश्वरी
- = राज् + (अ + ई ⇒ ए) + श्वरी [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = राजेश्वरी
- कमलेन्दुः
- कमला + इन्दुः
- = कमल् + (आ + इ ⇒ ए) + न्दुः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = कमलेन्दुः
- मिथिलेशः
- मिथिला + ईशः
- = मिथिल् + (आ + ई ⇒ ए) + शः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = मिथिलेशः
- अ/आ + उ/ऊ
- प्रश्नोत्तरम्
- प्रश्न + उत्तरम्
- = प्रश्न् + (अ + उ ⇒ ओ) + त्तरम् [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = प्रश्नोत्तरम्
- अर्धोरुकम्
- अर्ध + ऊरुकम्
- = अर्ध् + (अ + ऊ ⇒ ओ) + रुकम् [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = अर्धोरुकम्
- महोत्सवः
- महा + उत्सवः
- = मह्+ (आ + उ ⇒ ओ) + त्सवः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = महोत्सवः
- महोर्मिः
- महा + ऊर्मिः
- = मह् + (आ + ऊ ⇒ ओ) + र्मिः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = महोर्मिः
- अ/आ + ऋ/ॠ
- देवर्षिः
- देव + ऋषिः
- = देव्+ (अ + ऋ ⇒ अर्) + षिः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = देवर्षिः
- तस्यर्कारः
- तस्य + ॠकारः
- = तस्य् + (अ + ॠ ⇒ अर्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = तस्यर्कारः
- महर्षभः
- महा + ऋषभः
- = मह्+ (आ + ऋ ⇒ अर्) + षभः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = महर्षभः
- भवतर्कारः
- भवता + ॠकारः
- = भवत् + (आ + ॠ ⇒ अर्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = भवतर्कारः
- अ/आ + ऌ
- तस्यल्कारः
- तस्य + ऌकारः
- = तस्य् + (अ + ऌ ⇒ अल्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = तस्यल्कारः
- भवतल्कारः
- भवता + ऌकारः
- = भवत् + (आ + ऌ ⇒ अल्) + कारः [ गुण-सन्धिः (एकादेशः) § आद्गुणः ६.१.०८७ ]
- = भवतल्कारः
वृद्धि-सन्धिः
Vṛddhi-sandhi
- सन्धि-विवरणम् । Sandhi description
-
वृद्धि-सन्धेः कोष्टम् ।
Vṛddhi-sandhi's table
-
पूर्ववर्णः
(स्थानी / निमित्तम्)+ परवर्णः
(स्थानी / निमित्तम्)= आदेशः
(सन्धिकार्यम्)अ / आ + ए / ऐ = ऐ ओ / औ औ
- अत्र वृद्धि-संज्ञायाः वर्णः एव द्वनि-परिवर्तनस्य अन्तिम-विकारः भवति । अतः वृद्धि-सन्धिः इति नामधेयम् । Here, the letters defined by the term Vṛddhi is the end result of the sound transformation. Hence the name Vṛddhi-sandhi.
- वृद्धि-संज्ञा = { ऐ , औ , आर् , आल् } । The set "Vṛddhi" comprises of { ai , au , ār , āl }. Here, "Vṛddhi" is not a "word" that means prosper in the usual sense; rather, it is a "term" that refers to a set of letters.
- वृद्धिरादैच् इति संज्ञा-सूत्रे { आ, ऐ, औ } एतेषां त्रयाणां 'वृद्धिः' इति संज्ञा भवति । The aphorism, vṛddhirādaic, defines the term "Vṛddhi" that comprises of these 3 letters { ā , ai , au }.
- वृद्धि-सन्धिः एकादेश-सन्धिः । Vṛddhi-sandhi is an Ekādeśa-sandhi.
- द्वयोः वर्णयोः स्थाने एकः वर्णः आदेशः भवति चेत् सा एकादेश-सन्धिः । In the place of 2 letters, if 1 letter is replaced, it is called Ekādeśa-sandhi.
- तिस्रः एकादेश-सन्धयः भवन्ति । ताः --- There are 3 Ekādeśa-sandhis. They are ---
- सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः । Savarṇa-dīrgha-sandhi
- गुण-सन्धिः । Guṇa-sandhi
- वृद्धि-सन्धिः । Vṛddhi-sandhi
- सन्धिकार्यं पदमध्ये पदान्ते भवितुम् अर्हति । Vṛddhi-sandhi can happen either in the middle of the word or at the end of the word.
- उदाहरणानि । Examples
- अ/आ + ए/ऐ = ऐ
- पश्य + एतान् = पश्यैतान्
- पश्य + एतान्
- = पश्य् + (अ + ए ⇒ ऐ) + तान् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = पश्यैतान्
- राज + ऐश्वर्यम् = राजैश्वर्यम्
- राज + ऐश्वर्यम्
- = राज् + (अ + ऐ ⇒ ऐ) + श्वर्यम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = राजैश्वर्यम्
- यदा + एव = यदैव
- यदा + एव
- = यद् + (आ + ए ⇒ ऐ) + व [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = यदैव
- महा + ऐश्वर्यम् = महैश्वर्यम्
- महा + ऐश्वर्यम्
- = मह् + (आ + ऐ ⇒ ऐ) + श्वर्यम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = महैश्वर्यम्
- अ/आ + ओ/औ = औ
- पक्व + ओदनम् = पक्वौदनम्
- पक्व + ओदनम्
- = पक्व् + (अ + ओ ⇒ औ) + दनम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = पक्वौदनम्
- परम + औदार्यम् = परमौदार्यम्
- परम + औदार्यम्
- = परम् + (अ + औ ⇒ औ) + दार्यम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = परमौदार्यम्
- महा + ओजस्वी = महौजस्वी
- महा + ओजस्वी
- = मह् + (आ + ओ ⇒ औ) + जस्वी [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = महौजस्वी
- महा + औत्सुक्यम् = महौत्सुक्यम्
- महा + औत्सुक्यम्
- = मह् + (आ + औ ⇒ औ) + त्सुक्यम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = महौत्सुक्यम्
- [अभ्यासः] सन्धिं कुरुत । [Exercise] Perform the sandhi
- अ/आ + ए/ऐ
- बालस्य + एकचित्तता
- बालस्य + एकचित्तता
- = बालस्य् + (अ + ए ⇒ ऐ) + कचित्तता [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = बालस्यैकचित्तता
- राष्ट्र + ऐक्यम्
- राष्ट्र + ऐक्यम्
- = राष्ट्र् + (अ + ऐ ⇒ ऐ) + श्वर्यम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = राष्ट्रैक्यम्
- संहिता + एकपदे
- संहिता + एकपदे
- = संहित् + (आ + ए ⇒ ऐ) + कपदे [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = संहितैकपदे
- तथा + ऐच्छत्
- तथा + ऐच्छत्
- = तथ् + (आ + ऐ ⇒ ऐ) + च्छत् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = तथैच्छत्
- अ/आ + ओ/औ
- विघ्न + ओघः
- विघ्न + ओघः
- = विघ्न् + (अ + ओ ⇒ औ) + घः [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = विघ्नौघः
- राम + औत्कण्ठ्यम्
- राम + औत्कण्ठ्यम्
- = राम् + (अ + औ ⇒ औ) + त्कण्ठ्यम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = रामौत्कण्ठ्यम्
- गङ्गा + ओघः
- गङ्गा + ओघः
- = गङ्ग् + (आ + ओ ⇒ औ) + घः [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = गङ्गौघः
- महा + औषधम्
- महा + औषधम्
- = मह् + (आ + औ ⇒ औ) + षधम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = महौषधम्
- [अभ्यासः] सन्धि-विच्छेदं कुरुत । [Exercise] Split the sandhi
- अ/आ + ए/ऐ
- ममैव
- मम + एव
- = मम् + (अ + ए ⇒ ऐ) + व [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = ममैव
- तवैश्वर्यम्
- तव + ऐश्वर्यम्
- = तव् + (अ + ऐ ⇒ ऐ) + श्वर्यम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = तवैश्वर्यम्
- वल्लभतयैव
- वल्लभतया + एव
- = वल्लभतय् + (आ + ए ⇒ ऐ) + व [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = वल्लभतयैव
- दृष्ट्वैच्छत्
- दृष्ट्वा + ऐच्छत्
- = दृष्ट्व् + (आ + ऐ ⇒ ऐ) + च्छत् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = दृष्ट्वैच्छत्
- अ/आ + ओ/औ
- तस्यौदनः
- तस्य + ओदनः
- = तस्य् + (अ + ओ ⇒ औ) + दनः [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = तस्यौदनः
- वनस्यौदुम्बरः
- वनस्य + औदुम्बरः
- = वनस्य् + (अ + औ ⇒ औ) + दुम्बरः [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = वनस्यौदुम्बरः
- रक्तौषधी
- रक्ता + ओषधी
- = रक्त् + (आ + ओ ⇒ औ) + षधी [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = रक्तौषधी
- यथौचित्यम्
- यथा + औचित्यम्
- = यथ् + (आ + औ ⇒ औ) + चित्यम् [ वृद्धि-सन्धिः (एकादेशः) § वृद्धिरेचि ६.१.०८८ ]
- = यथौचित्यम्
यण्-सन्धिः
Yaṇ-sandhi
- सन्धि-विवरणम् । Sandhi description
-
यण्-सन्धेः कोष्टम् ।
Yaṇ-sandhi's table
-
पूर्ववर्णः
(स्थानी)+ परवर्णः
(निमित्तम्)= आदेशः
(सन्धिकार्यम्)इ / ई + असवर्ण-अच् = य् उ / ऊ व् ऋ / ॠ र् ऌ ल्
- अत्र यण्-प्रत्याहारस्य वर्णाः एव द्वनि-परिवर्तनस्य अन्तिम-विकारः भवति । अतः यण्-सन्धिः इति नामधेयम् । In grammar, the word pratyāhāra means a combination of two or more letters of the alphabet to form a class of letters. Here, the class of letters denoted by yaṇ pratyāhāra is the end result of the sound transformation. Hence the name Yaṇ-sandhi.
- माहेश्वर-सूत्राणां मध्ये विद्यमानाः यण्-प्रत्याहारस्य वर्णाः = { य् , व् , र् , ल् } । The class of letters denoted by yaṇ pratyāhāra in the māheśvara-sūtrās are { y, v, r, l }.
- सन्धिकार्यं पदमध्ये पदान्ते भवितुम् अर्हति । Yaṇ-sandhi can happen either in the middle of the word or at the end of the word.
- उदाहरणानि । Examples
- इ + असवर्ण-अच्
- इति + अवदत् = इत्यवदत्
- इति + अवदत्
- = इत् + (इ → य्) + अ + वदत् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्यवदत्
- इति + आदिः = इत्यादिः
- इति + आदिः
- = इत् + (इ → य्) + आ + दिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्यादिः
- इति + उच्यते = इत्युच्यते
- इति + उच्यते
- = इत् + (इ → य्) + उ + च्यते [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्युच्यते
- इति + ऊहा = इत्यूहा
- इति + ऊहा
- = इत् + (इ → य्) + ऊ + हा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्यूहा
- इति + ऋषिः = इत्यृषिः
- इति + ऋषिः
- = इत् + (इ → य्) + ऋ + षिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्यृषिः
- इति + ॠकारः = इत्यॄकारः
- इति + ॠकारः
- = इत् + (इ → य्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्यॄकारः
- इति + ऌकारः = इत्यॢकारः
- इति + ऌकारः
- = इत् + (इ → य्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्यॢकारः
- इति + एकः = इत्येकः
- इति + एकः
- = इत् + (इ → य्) + ए + कः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्येकः
- इति + ऐक्यम् = इत्यैक्यम्
- इति + ऐक्यम्
- = इत् + (इ → य्) + ऐ + क्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्यैक्यम्
- इति + ओदनम् = इत्योदनम्
- इति + ओदनम्
- = इत् + (इ → य्) + ओ + दनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्योदनम्
- इति + औदार्यम् = इत्यौदार्यम्
- इति + औदार्यम्
- = इत् + (इ → य्) + औ + दार्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = इत्यौदार्यम्
- ई + असवर्ण-अच्
- जननी + अत्र = जनन्यत्र
- जननी + अत्र
- = जनन् + (ई → य्) + अ + त्र [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = जनन्यत्र
- जननी + आह = जनन्याह
- जननी + आह
- = जनन् + (ई → य्) + आ + ह [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = जनन्याह
- स्त्री + उपयोगी = स्त्र्युपयोगी
- स्त्री + उपयोगी
- = स्त्र् + (ई → य्) + उ + पयोगी [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्युपयोगी
- नदी + ऊर्मिः = नद्यूर्मिः
- नदी + ऊर्मिः
- = नद् + (ई → य्) + ऊ + र्मिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = नद्यूर्मिः
- दासी + ऋणम् = दास्यृणम्
- दासी + ऋणम्
- = दास् + (ई → य्) + ऋ + णम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = दास्यृणम्
- भवती + ॠकारः = भवत्यॄकारः
- भवती + ॠकारः
- = भवत् + (ई → य्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = भवत्यॄकारः
- भवती + ऌकारः = भवत्यॢकारः
- भवती + ऌकारः
- = भवत् + (ई → य्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = भवत्यॢकारः
- धात्री + एव = धात्र्येव
- धात्री + एव
- = धात्र् + (ई → य्) + ए + व [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = धात्र्येव
- सखी + ऐश्वर्यम् = सख्यैश्वर्यम्
- सखी + ऐश्वर्यम्
- = सख् + (ई → य्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = सख्यैश्वर्यम्
- नदी + ओषधी = नद्योषधी
- नदी + ओषधी
- = नद् + (ई → य्) + ओ + षधी [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = नद्योषधी
- वाणी + औचित्यम् = वाण्यौचित्यम्
- वाणी + औचित्यम्
- = वाण् + (ई → य्) + औ + चित्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वाण्यौचित्यम्
- उ + असवर्ण-अच्
- मनु + अन्तरम् = मन्वन्तरम्
- मनु + अन्तरम्
- = मन् + (उ → व्) + अ + न्तरम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मन्वन्तरम्
- सु + आगतम् = स्वागतम्
- सु + आगतम्
- = स् + (उ → व्) + आ + गतम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्वागतम्
- साधु + इति = साध्विति
- साधु + इति
- = साध् + (उ → व्) + इ + ति [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = साध्विति
- सु + ईक्षणम् = स्वीक्षणम्
- सु + ईक्षणम्
- = स् + (उ → व्) + ई + क्षणम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्वीक्षणम्
- वदतु + ऋक् = वदत्वृक्
- वदतु + ऋक्
- = वदत् + (उ → व्) + ऋ + क् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वदत्वृक्
- भवतु + ॠकारः = भवत्वॄकारः
- भवतु + ॠकारः
- = भवत् + (उ → व्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = भवत्वॄकारः
- भवतु + ऌकारः = भवत्वॢकारः
- भवतु + ऌकारः
- = भवत् + (उ → व्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = भवत्वॢकारः
- खलु + एतत् = खल्वेतत्
- खलु + एतत्
- = खल् + (उ → व्) + ए + तत् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = खल्वेतत्
- खादतु + ऐक्षवः = खादत्वैक्षवः
- खादतु + ऐक्षवः
- = खादत् + (उ → व्) + ऐ + क्षवः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = खादत्वैक्षवः
- पचतु + ओदनम् = पचत्वोदनम्
- पचतु + ओदनम्
- = पचत् + (उ → व्) + ओ + दनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पचत्वोदनम्
- पश्यतु + औदुंबरः = पश्यत्वौदुंबरः
- पश्यतु + औदुंबरः
- = पश्यत् + (उ → व्) + औ + दुंबरः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पश्यत्वौदुंबरः
- ऊ + असवर्ण-अच्
- चमू + अत्र = चम्वत्र
- चमू + अत्र
- = चम् + (ऊ → व्) + अ + त्र [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वत्र
- चमू + आगमनम् = चम्वागमनम्
- चमू + आगमनम्
- = चम् + (ऊ → व्) + आ + गमनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वागमनम्
- चमू + इति = चम्विति
- चमू + इति
- = चम् + (ऊ → व्) + इ + ति [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्विति
- चमू + ईक्षणम् = चम्वीक्षणम्
- चमू + ईक्षणम्
- = चम् + (ऊ → व्) + ई + क्षणम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वीक्षणम्
- चमू + ऋक्ण = चम्वृक्ण
- चमू + ऋक्ण
- = चम् + (ऊ → व्) + ऋ + क्ण [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वृक्ण
- चमू + ॠकारः = चम्वॄकारः
- चमू + ॠकारः
- = चम् + (ऊ → व्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वॄकारः
- चमू + ऌकारः = चम्वॢकारः
- चमू + ऌकारः
- = चम् + (ऊ → व्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वॢकारः
- चमू + एतत् = चम्वेतत्
- चमू + एतत्
- = चम् + (ऊ → व्) + ए + तत् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वेतत्
- चमू + ऐक्यम् = चम्वैक्यम्
- चमू + ऐक्यम्
- = चम् + (ऊ → व्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वैक्यम्
- चमू + ओघः = चम्वोघः
- चमू + ओघः
- = चम् + (ऊ → व्) + ओ + घः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वोघः
- चमू + औन्नत्यम् = चम्वौन्नत्यम्
- चमू + औन्नत्यम्
- = चम् + (ऊ → व्) + औ + न्नत्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = चम्वौन्नत्यम्
- ऋ + असवर्ण-अच्
- पितृ + अधीनम् = पित्रधीनम्
- पितृ + अधीनम्
- = पित् + (ऋ → र्) + अ + धीनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रधीनम्
- पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
- पितृ + आज्ञा
- = पित् + (ऋ → र्) + आ + ज्ञा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्राज्ञा
- पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा
- पितृ + इच्छा
- = पित् + (ऋ → र्) + इ + च्छा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रिच्छा
- पितृ + ईशः = पित्रीशः
- पितृ + ईशः
- = पित् + (ऋ → र्) + ई + शः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रीशः
- पितृ + उपदेशः = पित्रुपदेशः
- पितृ + उपदेशः
- = पित् + (ऋ → र्) + उ + पदेशः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रुपदेशः
- पितृ + ऊर्जः = पित्रूर्जः
- पितृ + ऊर्जः
- = पित् + (ऋ → र्) + ऊ + र्जः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रूर्जः
- पितृ + ए = पित्रे
- पितृ + ए
- = पित् + (ऋ → र्) + ए [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रे
- पितृ + ऐक्यम् = पित्रैक्यम्
- पितृ + ऐक्यम्
- = पित् + (ऋ → र्) + ऐ + क्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रैक्यम्
- पितृ + ओषधि = पित्रोषधि
- पितृ + ओषधि
- = पित् + (ऋ → र्) + ओ + षधि [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रोषधि
- पितृ + औदार्यम् = पित्रौदार्यम्
- पितृ + औदार्यम्
- = पित् + (ऋ → र्) + औ + दार्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = पित्रौदार्यम्
- ऌ + असवर्ण-अच्
- ऌ + अनुबन्धः = लनुबन्धः
- ऌ + अनुबन्धः
- = (ऌ → ल्) + अ + नुबन्धः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लनुबन्धः
- ऌ + आकृतिः = लाकृतिः
- ऌ + आकृतिः
- = (ऌ → ल्) + आ + कृतिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लाकृतिः
- ऌ + इति = लिति
- ऌ + इति
- = (ऌ → ल्) + इ + ति [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लिति
- ऌ + ईशः = लीशः
- ऌ + ईशः
- = (ऌ → ल्) + ई + शः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लीशः
- ऌ + उवाच = लुवाच
- ऌ + उवाच
- = (ऌ → ल्) + उ + वाच [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लुवाच
- ऌ + ऊर्वः = लूर्वः
- ऌ + ऊर्वः
- = (ऌ → ल्) + ऊ + र्वः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लूर्वः
- ऌ + एकान्तम् = लेकान्तम्
- ऌ + एकान्तम्
- = (ऌ → ल्) + ए + कान्तम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लेकान्तम्
- ऌ + ऐश्वर्यम् = लैश्वर्यम्
- ऌ + ऐश्वर्यम्
- = (ऌ → ल्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लैश्वर्यम्
- ऌ + ओघः = लोघः
- ऌ + ओघः
- = (ऌ → ल्) + ओ + घः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लोघः
- ऌ + औन्नत्यम् = लौन्नत्यम्
- ऌ + औन्नत्यम्
- = (ऌ → ल्) + औ + न्नत्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लौन्नत्यम्
- [अभ्यासः] सन्धिं कुरुत । [Exercise] Perform the sandhi
- इ + असवर्ण-अच्
- प्रति + अक्ष
- प्रति + अक्ष
- = प्रत् + (इ → य्) + अ + क्ष [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्यक्ष
- प्रति + आगमनम्
- प्रति + आगमनम्
- = प्रत् + (इ → य्) + आ + गमनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्यागमनम्
- प्रति + उत्पन्नः
- प्रति + उत्पन्नः
- = प्रत् + (इ → य्) + उ + त्पन्नः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्युत्पन्नः
- प्रति + ऊषः
- प्रति + ऊ
- = प्रत् + (इ → य्) + ऊ + षः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्यूषः
- प्रति + ऋषिम्
- प्रति + ऋषिम्
- = प्रत् + (इ → य्) + ऋ + षिम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्यृषिम्
- प्रति + ॠकारः
- प्रति + ॠकारः
- = प्रत् + (इ → य्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्यॄकारः
- प्रति + ऌकारः
- प्रति + ऌकारः
- = प्रत् + (इ → य्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्यॢकारः
- प्रति + एकम्
- प्रति + एकम्
- = प्रत् + (इ → य्) + ए + कम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्येकम्
- प्रति + ऐक्यम्
- प्रति + ऐक्यम्
- = प्रत् + (इ → य्) + ऐ + क्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्यैक्यम्
- प्रति + ओदनम्
- प्रति + ओदनम्
- = प्रत् + (इ → य्) + ओ + दनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्योदनम्
- प्रति + औदार्यम्
- प्रति + औदार्यम्
- = प्रत् + (इ → य्) + औ + दार्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = प्रत्यौदार्यम्
- ई + असवर्ण-अच्
- देवी + अर्पणः
- देवी + अर्पणः
- = देव् + (ई → य्) + अ + र्पणः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्यर्पणः
- देवी + आलय
- देवी + आलय
- = देव् + (ई → य्) + आ + लय [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्यालय
- देवी + उवाच
- देवी + उवाच
- = देव् + (ई → य्) + उ + वाच [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्युवाच
- देवी + ऊढा
- देवी + ऊढा
- = देव् + (ई → य्) + ऊ + ढा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्यूढा
- देवी + ऋणम्
- देवी + ऋणम्
- = देव् + (ई → य्) + ऋ + णम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्यृणम्
- देवी + ॠकारः
- देवी + ॠकारः
- = देव् + (ई → य्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्यॄकारः
- देवी + ऌकारः
- देवी + ऌकारः
- = देव् + (ई → य्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्यॢकारः
- देवी + एव
- देवी + एव
- = देव् + (ई → य्) + ए + व [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्येव
- देवी + ऐश्वर्यम्
- देवी + ऐश्वर्यम्
- = देव् + (ई → य्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्यैश्वर्यम्
- देवी + ओषधी
- देवी + ओषधी
- = देव् + (ई → य्) + ओ + षधी [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्योषधी
- देवी + औदार्यम्
- देवी + औदार्यम्
- = देव् + (ई → य्) + औ + दार्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = देव्यौदार्यम्
- उ + असवर्ण-अच्
- मधु + अरिः
- मधु + अरिः
- = मध् + (उ → व्) + अ + रिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मध्वरिः
- गुरु + आदेशः
- गुरु + आदेशः
- = गुर् + (उ → व्) + आ + देशः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गुर्वादेशः
- अनु + इच्छा
- अनु + इच्छा
- = अन् + (उ → व्) + इ + च्छा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्विच्छा
- अनु + ईक्षणम्
- अनु + ईक्षणम्
- = अन् + (उ → व्) + ई + क्षणम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वीक्षणम्
- लिखतु + ऋक्
- लिखतु + ऋक्
- = लिखत् + (उ → व्) + ऋ + क् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लिखत्वृक्
- लिखतु + ॠकारः
- लिखतु + ॠकारः
- = लिखत् + (उ → व्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लिखत्वॄकारः
- लिखतु + ऌकारः
- लिखतु + ऌकारः
- = लिखत् + (उ → व्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = लिखत्वॢकारः
- ननु + एतत्
- ननु + एतत्
- = नन् + (उ → व्) + ए + तत् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = नन्वेतत्
- सु + ऐश्वर्यम्
- सु + ऐश्वर्यम्
- = स् + (उ → व्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्वैश्वर्यम्
- सु + ओषधी
- सु + ओषधी
- = स् + (उ → व्) + ओ + षधी [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्वोषधी
- सु + औदुंबरः
- सु + औदुंबरः
- = स् + (उ → व्) + औ + दुंबरः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्वौदुंबरः
- ऊ + असवर्ण-अच्
- वधू + अत्र
- वधू + अत्र
- = वध् + (ऊ → व्) + अ + त्र [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वत्र
- वधू + आगमनम्
- वधू + आगमनम्
- = वध् + (ऊ → व्) + आ + गमनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वागमनम्
- वधू + इति
- वधू + इति
- = वध् + (ऊ → व्) + इ + ति [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्विति
- वधू + ईक्षणम्
- वधू + ईक्षणम्
- = वध् + (ऊ → व्) + ई + क्षणम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वीक्षणम्
- वधू + ऋक्ण
- वधू + ऋक्ण
- = वध् + (ऊ → व्) + ऋ + क्ण [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वृक्ण
- वधू + ॠकारः
- वधू + ॠकारः
- = वध् + (ऊ → व्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वॄकारः
- वधू + ऌकारः
- वधू + ऌकारः
- = वध् + (ऊ → व्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वॢकारः
- वधू + एतत्
- वधू + एतत्
- = वध् + (ऊ → व्) + ए + तत् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वेतत्
- वधू + ऐक्यम्
- वधू + ऐक्यम्
- = वध् + (ऊ → व्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वैक्यम्
- वधू + ओघः
- वधू + ओघः
- = वध् + (ऊ → व्) + ओ + घः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वोघः
- वधू + औन्नत्यम्
- वधू + औन्नत्यम्
- = वध् + (ऊ → व्) + औ + न्नत्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वध्वौन्नत्यम्
- ऋ + असवर्ण-अच्
- मातृ + अधीनम्
- मातृ + अधीनम्
- = मात् + (ऋ → र्) + अ + धीनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रधीनम्
- मातृ + आज्ञा
- मातृ + आज्ञा
- = मात् + (ऋ → र्) + आ + ज्ञा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्राज्ञा
- मातृ + इच्छा
- मातृ + इच्छा
- = मात् + (ऋ → र्) + इ + च्छा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रिच्छा
- मातृ + ईशः
- मातृ + ईशः
- = मात् + (ऋ → र्) + ई + शः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रीशः
- मातृ + उपदेशः
- मातृ + उपदेशः
- = मात् + (ऋ → र्) + उ + पदेशः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रुपदेशः
- मातृ + ऊर्जः
- मातृ + ऊर्जः
- = मात् + (ऋ → र्) + ऊ + र्जः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रूर्जः
- मातृ + ए
- मातृ + ए
- = मात् + (ऋ → र्) + ए [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रे
- मातृ + ऐक्यम्
- मातृ + ऐक्यम्
- = मात् + (ऋ → र्) + ऐ + क्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रैक्यम्
- मातृ + ओषधि
- मातृ + ओषधि
- = मात् + (ऋ → र्) + ओ + षधि [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रोषधि
- मातृ + औदार्यम्
- मातृ + औदार्यम्
- = मात् + (ऋ → र्) + औ + दार्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = मात्रौदार्यम्
- ऌ + असवर्ण-अच्
- घसॢ + अनुबन्धः
- घसॢ + अनुबन्धः
- = घस् + (ऌ → ल्) + अ + नुबन्धः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लनुबन्धः
- घसॢ + आकृतिः
- घसॢ + आकृतिः
- = घस् + (ऌ → ल्) + आ + कृतिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लाकृतिः
- घसॢ + इति
- घसॢ + इति
- = घस् + (ऌ → ल्) + इ + ति [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लिति
- घसॢ + ईशः
- घसॢ + ईशः
- = घस् + (ऌ → ल्) + ई + शः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लीशः
- घसॢ + उवाच
- घसॢ + उवाच
- = घस् + (ऌ → ल्) + उ + वाच [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लुवाच
- घसॢ + ऊर्वः
- घसॢ + ऊर्वः
- = घस् + (ऌ → ल्) + ऊ + र्वः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लूर्वः
- घसॢ + एकान्तम्
- घसॢ + एकान्तम्
- = घस् + (ऌ → ल्) + ए + कान्तम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लेकान्तम्
- घसॢ + ऐश्वर्यम्
- घसॢ + ऐश्वर्यम्
- = घस् + (ऌ → ल्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लैश्वर्यम्
- घसॢ + ओघः
- घसॢ + ओघः
- = घस् + (ऌ → ल्) + ओ + घः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लोघः
- घसॢ + औन्नत्यम्
- घसॢ + औन्नत्यम्
- = घस् + (ऌ → ल्) + औ + न्नत्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = घस्लौन्नत्यम्
- [अभ्यासः] सन्धि-विच्छेदं कुरुत । [Exercise] Split the sandhi
- इ + असवर्ण-अच्
- अत्यल्पः
- अति + अल्पः
- = अत् + (इ → य्) + अ + ल्पः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अत्यल्पः
- व्यासः
- वि + आसः
- = व् + (इ → य्) + आ + सः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = व्यासः
- अत्युष्णः
- अति + उष्णः
- = अत् + (इ → य्) + उ + ष्णः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अत्युष्णः
- व्यूहः
- वि + ऊहः
- = व् + (इ → य्) + ऊ + हः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = व्यूहः
- अध्यृकारः
- अधि + ऋकारः
- = अध् + (इ → य्) + ऋ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अध्यृकारः
- अध्यॄकारः
- अधि + ॠकारः
- = अध् + (इ → य्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अध्यॄकारः
- अध्यॢकारः
- अधि + ऌकारः
- = अध् + (इ → य्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अध्यॢकारः
- झटित्येव
- झटिति + एव
- = झटित् + (इ → य्) + ए + व [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = झटित्येव
- अत्यैक्यम्
- अति + ऐक्यम्
- = अत् + (इ → य्) + ऐ + क्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अत्यैक्यम्
- व्योमः
- वि + ओमः
- = व् + (इ → य्) + ओ + मः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = व्योमः
- अत्यौत्सुक्यम्
- अति + औत्सुक्यम्
- = अत् + (इ → य्) + औ + सुक्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अत्यौत्सुक्यम्
- ई + असवर्ण-अच्
- स्त्र्यत्र
- स्त्री + अत्र
- = स्त्र् + (ई → य्) + अ + त्र [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्यत्र
- स्त्र्याकृतिः
- स्त्री + आकृतिः
- = स्त्र् + (ई → य्) + आ + कृतिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्याकृतिः
- स्त्र्युवाच
- स्त्री + उवाच
- = स्त्र् + (ई → य्) + उ + वाच [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्युवाच
- स्त्री + ऊढा
- स्त्री + ऊढा
- = स्त्र् + (ई → य्) + ऊ + ढा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्यूढा
- स्त्री + ऋणम्
- स्त्री + ऋणम्
- = स्त्र् + (ई → य्) + ऋ + णम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्यृणम्
- स्त्री + ॠकारः
- स्त्री + ॠकारः
- = स्त्र् + (ई → य्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्यॄकारः
- स्त्री + ऌकारः
- स्त्री + ऌकारः
- = स्त्र् + (ई → य्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्यॢकारः
- स्त्री + एव
- स्त्री + एव
- = स्त्र् + (ई → य्) + ए + व [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्येव
- स्त्री + ऐश्वर्यम्
- स्त्री + ऐश्वर्यम्
- = स्त्र् + (ई → य्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्यैश्वर्यम्
- स्त्री + ओषधी
- स्त्री + ओषधी
- = स्त्र् + (ई → य्) + ओ + षधी [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्योषधी
- स्त्री + औदार्यम्
- स्त्री + औदार्यम्
- = स्त्र् + (ई → य्) + औ + दार्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्त्र्यौदार्यम्
- उ + असवर्ण-अच्
- अन्वयः
- अनु + अयः
- = अन् + (उ → व्) + अ + यः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वयः
- अन्वागच्छति
- अनु + आगच्छति
- = अन् + (उ → व्) + आ + गच्छति [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वागच्छति
- अन्वितः
- अनु + इतः
- = अन् + (उ → व्) + इ + तः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वितः
- अन्वीक्षणः
- अनु + ईक्षणः
- = अन् + (उ → व्) + ई + क्षणः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वीक्षणः
- अन्वृजुः
- अनु + ऋजुः
- = अन् + (उ → व्) + ऋ + जुः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वृजुः
- अन्वॄकारः
- अनु + ॠकारः
- = अन् + (उ → व्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वॄकारः
- अन्वॢकारः
- अनु + ऌकारः
- = अन् + (उ → व्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वॢकारः
- अन्वेषणम्
- अनु + एषणम्
- = अन् + (उ → व्) + ए + षणम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वेषणम्
- अन्वैच्छत्
- अनु + ऐच्छत्
- = अन् + (उ → व्) + ऐ + च्छत् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = अन्वैच्छत्
- स्वोजस्
- सु + ओजस्
- = स् + (उ → व्) + ओ + जस् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्वोजस्
- स्वौदार्यम्
- सु + औदार्यम्
- = स् + (उ → व्) + औ + दार्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = स्वौदार्यम्
- ऊ + असवर्ण-अच्
- श्वश्र्वत्र
- श्वश्रू + अत्र
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + अ + त्र [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वत्र
- श्वश्र्वागमनम्
- श्वश्रू + आगमनम्
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + आ + गमनम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वागमनम्
- श्वश्र्विति
- श्वश्रू + इति
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + इ + ति [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्विति
- श्वश्र्वीक्षणम्
- श्वश्रू + ईक्षणम्
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + ई + क्षणम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वीक्षणम्
- श्वश्र्वृक्ण
- श्वश्रू + ऋक्ण
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + ऋ + क्ण [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वृक्ण
- श्वश्र्वॄकारः
- श्वश्रू + ॠकारः
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + ॠ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वॄकारः
- श्वश्र्वॢकारः
- श्वश्रू + ऌकारः
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + ऌ + कारः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वॢकारः
- श्वश्र्वेतत्
- श्वश्रू + एतत्
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + ए + तत् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वेतत्
- श्वश्र्वैक्यम्
- श्वश्रू + ऐक्यम्
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वैक्यम्
- श्वश्र्वोघः
- श्वश्रू + ओघः
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + ओ + घः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वोघः
- श्वश्र्वौन्नत्यम्
- श्वश्रू + औन्नत्यम्
- = श्वश्र् + (ऊ → व्) + औ + न्नत्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्वश्र्वौन्नत्यम्
- ऋ + असवर्ण-अच्
- धात्रंशः
- धातृ + अम्शः
- = धात् + (ऋ → र्) + अ + म्शः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = धात्रम्शः
- भ्रात्राकृतिः
- भ्रातृ + आकृतिः
- = भ्रात् + (ऋ → र्) + आ + कृतिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = भ्रात्राकृतिः
- आह्वात्रिच्छा
- आह्वातृ + इच्छा
- = आह्वात् + (ऋ → र्) + इ + च्छा [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = आह्वात्रिच्छा
- होत्रीक्षणम्
- होतृ + ईक्षणम्
- = होत् + (ऋ → र्) + ई + क्षणम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = होत्रीक्षणम्
- सवित्रुदयः
- सवितृ + उदयः
- = सवित् + (ऋ → र्) + उ + दयः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = सवित्रुदयः
- वात्रूर्मिः
- वातृ + ऊर्मिः
- = वात् + (ऋ → र्) + ऊ + र्मिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वात्रूर्मिः
- श्रोत्रेवम्
- श्रोतृ + एवम्
- = श्रोत् + (ऋ → र्) + ए + वम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = श्रोत्रेवम्
- गात्रैक्यम्
- गातृ + ऐक्यम्
- = गात् + (ऋ → र्) + ऐ + क्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गात्रैक्यम्
- दात्रोजस्
- दातृ + ओजस्
- = दात् + (ऋ → र्) + ओ + जस् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = दात्रोजस्
- वक्त्रौचित्यम्
- वक्तृ + औचित्यम्
- = वक्त् + (ऋ → र्) + औ + चित्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = वक्त्रौचित्यम्
- ऌ + असवर्ण-अच्
- गम्लनुबन्धः
- गमॢ + अनुबन्धः
- = गम् + (ऌ → ल्) + अ + नुबन्धः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लनुबन्धः
- गम्लाकृतिः
- गमॢ + आकृतिः
- = गम् + (ऌ → ल्) + आ + कृतिः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लाकृतिः
- गम्लिति
- गमॢ + इति
- = गम् + (ऌ → ल्) + इ + ति [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लिति
- गम्लीशः
- गमॢ + ईशः
- = गम् + (ऌ → ल्) + ई + शः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लीशः
- गम्लुवाच
- गमॢ + उवाच
- = गम् + (ऌ → ल्) + उ + वाच [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लुवाच
- गम्लूर्वः
- गमॢ + ऊर्वः
- = गम् + (ऌ → ल्) + ऊ + र्वः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लूर्वः
- गम्लेकान्तम्
- गमॢ + एकान्तम्
- = गम् + (ऌ → ल्) + ए + कान्तम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लेकान्तम्
- गम्लैश्वर्यम्
- गमॢ + ऐश्वर्यम्
- = गम् + (ऌ → ल्) + ऐ + श्वर्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लैश्वर्यम्
- गम्लोघः
- गमॢ + ओघः
- = गम् + (ऌ → ल्) + ओ + घः [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लोघः
- गम्लौन्नत्यम्
- गमॢ + औन्नत्यम्
- = गम् + (ऌ → ल्) + औ + न्नत्यम् [ यण्-सन्धिः § इको यणचि ६.१.०७७ ]
- = गम्लौन्नत्यम्
पूर्व-रूप-सन्धिः
Pūrva-rūpa-sandhi
- सन्धि-विवरणम् । Sandhi description
-
पूर्व-रूप-सन्धेः कोष्टम् ।
Pūrva-rūpa-sandhi's table
-
पूर्ववर्णः
(निमित्तम्)+ परवर्णः
(स्थानी)= आदेशः
(सन्धिकार्यम्)ए + अ = एऽ ओ ओऽ
- द्वनि-परिवर्तनस्य अन्तिम-विकारः पूर्वपदस्य रूपम् एव भवति । अतः पूर्व-रूप-सन्धिः इति नामधेयम् । Since the end result of the sound transformation results in the sound of the last letter of the previous word, this sandhi is named pūrva-rūpa-sandhi.
- पदान्ते {ए + अ} , {ओ + अ} योजनेन एतयोर्मध्ये आदेश सन्धिकार्यं भवितुम् अर्हति । In the case of {ae + a} and {o + a}, where {ae, o} are at the end of a word, pūrva-rūpa-sandhi can take place.
- उदाहरणानि । Examples
- ए (पदान्ते) + अ
- जले + अस्मिन् = जलेऽस्मिन् [ पदान्ते ]
- जले + अस्मिन्
- = जल् + ए + (अ → ऽ) + स्मिन् [ पूर्वरूप-सन्धिः (पदान्ते एव) § एङः पदान्तादति ६.१.१०९ ]
- = जलेऽस्मिन्
- ओ (पदान्ते) + अ
- विष्णो + अत्र = विष्णोऽत्र [ पदान्ते ]
- विष्णो + अत्र
- = विष्ण् + ओ + (अ → ऽ) + त्र [ पूर्वरूप-सन्धिः (पदान्ते एव) § एङः पदान्तादति ६.१.१०९ ]
- = विष्णोऽत्र
- [अभ्यासः] सन्धिं कुरुत । [Exercise] Perform the sandhi
- ए (पदान्ते) + अ
- ते + अवस्थिताः [ पदान्ते ]
- ते + अवस्थिताः
- = त् + ए + (अ → ऽ) + वस्थिताः [ पूर्वरूप-सन्धिः (पदान्ते एव) § एङः पदान्तादति ६.१.१०९ ]
- = तेऽवस्थिताः
- ओ (पदान्ते) + अ
- सो + अवदत् [ पदान्ते ]
- सो + अवदत्
- = स् + ओ + (अ → ऽ) + वदत् [ पूर्वरूप-सन्धिः (पदान्ते एव) § एङः पदान्तादति ६.१.१०९ ]
- = सोऽवदत्
- [अभ्यासः] सन्धि-विच्छेदं कुरुत । [Exercise] Split the sandhi
- ए (पदान्ते) + अ
- भवनेऽस्मि [ पदान्ते ]
- भवने + अस्मि
- = भवन् + ए + (अ → ऽ) + स्मि [ पूर्वरूप-सन्धिः (पदान्ते एव) § एङः पदान्तादति ६.१.१०९ ]
- = भवनेऽस्मि
- ओ (पदान्ते) + अ
- कोऽपि [ पदान्ते ]
- को + अपि
- = क् + ओ + (अ → ऽ) + पि [ पूर्वरूप-सन्धिः (पदान्ते एव) § एङः पदान्तादति ६.१.१०९ ]
- = कोऽपि
यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः / अयादि-सन्धिः
Yānta-vānta-ādeśa-sandhi / Ayādi-sandhi
- सन्धि-विवरणम् । Sandhi description
-
अयादि-सन्धेः कोष्टम् ।
Ayādi-sandhi's table
-
पूर्ववर्णः
(स्थानी)+ परवर्णः
(निमित्तम्)= आदेशः
(सन्धिकार्यम्)ए + अच्-वर्णः = अय् ऐ आय् ओ अव् औ आव्
- द्वनि-परिवर्तनस्य अन्तिम-विकारः य्-अन्तः व्-अन्तः वा भवति । अतः यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः इति नामधेयम् । Since the end result of the sound transformation terminates with {y , v}, this sandhi is named yānta-vānta-ādeśa-sandhi.
- द्वनि-परिवर्तनस्य अन्तिम-विकारः {अय् , आय् , अव् , आव्} भवति । अतः अय्-आदि-सन्धिः इति अपि नामधेयम् । Since the end result of the sound transformation are {ay , āy , av , āv}, this sandhi is also named ay-ādi-sandhi (literally meaning ay and others).
- {ए + अ} , {ओ + अ} वर्जयित्वा सन्धिकार्यं पदमध्ये च पदान्ते भवितुम् अर्हति । Except for {ae + a} and {o + a}, yānta-vānta-ādeśa-sandhi can take place either in the middle of the word or at the end of the word.
- {ए + अ} , {ओ + अ} एतयोर्मध्ये अयादि-सन्धिकार्यं तु पदमध्ये एव (पदान्ते न) भवति । In case of {ae + a} and {o + a}, this ayādi-sandhi take place only in the middle (not at the end) of the word.
- उदाहरणानि । Examples
- ए + अच्-वर्णः
- ने + अनम् = नयनम् [ पदमध्ये ]
- ने + अनम्
- = न् + (ए → अय्) + अ + नम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = नयनम्
- हरये + आनन्दम् = हरययानन्दम्
- हरये + आनन्दम्
- = हरय् + (ए → अय्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययानन्दम्
- हरये + इच्छा = हरययिच्छा
- हरये + इच्छा
- = हरय् + (ए → अय्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययिच्छा
- हरये + ईप्सा = हरययीप्सा
- हरये + ईप्सा
- = हरय् + (ए → अय्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययीप्सा
- हरये + उदकम् = हरययुदकम्
- हरये + उदकम्
- = हरय् + (ए → अय्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययुदकम्
- हरये + ऊरुकम् = हरययूरुकम्
- हरये + ऊरुकम्
- = हरय् + (ए → अय्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययूरुकम्
- हरये + ऋद्धिः = हरययृद्धिः
- हरये + ऋद्धिः
- = हरय् + (ए → अय्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययृद्धिः
- हरये + ॠकारः = हरययॄकारः
- हरये + ॠकारः
- = हरय् + (ए → अय्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययॄकारः
- हरये + ऌकारः = हरययॢकारः
- हरये + ऌकारः
- = हरय् + (ए → अय्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययॢकारः
- हरये + एकदा = हरययेकदा
- हरये + एकदा
- = हरय् + (ए → अय्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययेकदा
- हरये + ऐश्वर्यम् = हरययैश्वर्यम्
- हरये + ऐश्वर्यम्
- = हरय् + (ए → अय्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययैश्वर्यम्
- हरये + ओदनम् = हरययोदनम्
- हरये + ओदनम्
- = हरय् + (ए → अय्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययोदनम्
- हरये + औषधम् = हरययौषधम्
- हरये + औषधम्
- = हरय् + (ए → अय्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = हरययौषधम्
- ऐ + अच्-वर्णः
- नै + अकः = नायकः
- नै + अकः
- = न् + (ऐ → आय्) + अ + कः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = नायकः
- रमायै + आनन्दम् = रमायायानन्दम्
- रमायै + आनन्दम्
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायानन्दम्
- रमायै + इच्छा = रमायायिच्छा
- रमायै + इच्छा
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायिच्छा
- रमायै + ईप्सा = रमायायीप्सा
- रमायै + ईप्सा
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायीप्सा
- रमायै + उदकम् = रमायायुदकम्
- रमायै + उदकम्
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायुदकम्
- रमायै + ऊरुकम् = रमायायूरुकम्
- रमायै + ऊरुकम्
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायूरुकम्
- रमायै + ऋद्धिः = रमायायृद्धिः
- रमायै + ऋद्धिः
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायृद्धिः
- रमायै + ॠकारः = रमायायॄकारः
- रमायै + ॠकारः
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायॄकारः
- रमायै + ऌकारः = रमायायॢकारः
- रमायै + ऌकारः
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायॢकारः
- रमायै + एकदा = रमायायेकदा
- रमायै + एकदा
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायेकदा
- रमायै + ऐश्वर्यम् = रमायायैश्वर्यम्
- रमायै + ऐश्वर्यम्
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायैश्वर्यम्
- रमायै + ओदनम् = रमायायोदनम्
- रमायै + ओदनम्
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायोदनम्
- रमायै + औषधम् = रमायायौषधम्
- रमायै + औषधम्
- = रमाय् + (ऐ → आय्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = रमायायौषधम्
- ओ + अच्-वर्णः
- पो + अनः = पवनः [ पदमध्ये ]
- पो + अनः
- = प् + (ओ → अव्) + अ + नः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = पवनः
- विष्णो + आनन्दम् = विष्णवानन्दम्
- विष्णो + आनन्दम्
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवानन्दम्
- विष्णो + इच्छा = विष्णविच्छा
- विष्णो + इच्छा
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णविच्छा
- विष्णो + ईप्सा = विष्णवीप्सा
- विष्णो + ईप्सा
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवीप्सा
- विष्णो + उदकम् = विष्णवुदकम्
- विष्णो + उदकम्
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवुदकम्
- विष्णो + ऊरुकम् = विष्णवूरुकम्
- विष्णो + ऊरुकम्
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवूरुकम्
- विष्णो + ऋद्धिः = विष्णवृद्धिः
- विष्णो + ऋद्धिः
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवृद्धिः
- विष्णो + ॠकारः = विष्णवॄकारः
- विष्णो + ॠकारः
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवॄकारः
- विष्णो + ऌकारः = विष्णवॢकारः
- विष्णो + ऌकारः
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवॢकारः
- विष्णो + एकदा = विष्णवेकदा
- विष्णो + एकदा
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवेकदा
- विष्णो + ऐश्वर्यम् = विष्णवैश्वर्यम्
- विष्णो + ऐश्वर्यम्
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवैश्वर्यम्
- विष्णो + ओदनम् = विष्णवोदनम्
- विष्णो + ओदनम्
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवोदनम्
- विष्णो + औषधम् = विष्णवौषधम्
- विष्णो + औषधम्
- = विष्ण् + (ओ → अव्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = विष्णवौषधम्
- औ + अच्-वर्णः
- पौ + अकः = पावकः
- पौ + अकः
- = प् + (औ → आव्) + अ + कः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = पावकः
- उभौ + आनन्दम् = उभावानन्दम्
- उभौ + आनन्दम्
- = उभ् + (औ → आव्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावानन्दम्
- उभौ + इच्छा = उभाविच्छा
- उभौ + इच्छा
- = उभ् + (औ → आव्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभाविच्छा
- उभौ + ईप्सा = उभावीप्सा
- उभौ + ईप्सा
- = उभ् + (औ → आव्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावीप्सा
- उभौ + उदकम् = उभावुदकम्
- उभौ + उदकम्
- = उभ् + (औ → आव्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावुदकम्
- उभौ + ऊरुकम् = उभावूरुकम्
- उभौ + ऊरुकम्
- = उभ् + (औ → आव्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावूरुकम्
- उभौ + ऋद्धिः = उभावृद्धिः
- उभौ + ऋद्धिः
- = उभ् + (औ → आव्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावृद्धिः
- उभौ + ॠकारः = उभावॄकारः
- उभौ + ॠकारः
- = उभ् + (औ → आव्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावॄकारः
- उभौ + ऌकारः = उभावॢकारः
- उभौ + ऌकारः
- = उभ् + (औ → आव्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावॢकारः
- उभौ + एकदा = उभावेकदा
- उभौ + एकदा
- = उभ् + (औ → आव्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावेकदा
- उभौ + ऐश्वर्यम् = उभावैश्वर्यम्
- उभौ + ऐश्वर्यम्
- = उभ् + (औ → आव्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावैश्वर्यम्
- उभौ + ओदनम् = उभावोदनम्
- उभौ + ओदनम्
- = उभ् + (औ → आव्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावोदनम्
- उभौ + औषधम् = उभावौषधम्
- उभौ + औषधम्
- = उभ् + (औ → आव्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = उभावौषधम्
- [अभ्यासः] सन्धिं कुरुत । [Exercise] Perform the sandhi
- ए + अच्-वर्णः
- डे + अते [ पदमध्ये ]
- डे + अते
- = ड् + (ए → अय्) + अ + ते [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = डयते
- गुरवे + आनन्दम्
- गुरवे + आनन्दम्
- = गुरव् + (ए → अय्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयानन्दम्
- गुरवे + इच्छा
- गुरवे + इच्छा
- = गुरव् + (ए → अय्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयिच्छा
- गुरवे + ईप्सा
- गुरवे + ईप्सा
- = गुरव् + (ए → अय्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयीप्सा
- गुरवे + उदकम्
- गुरवे + उदकम्
- = गुरव् + (ए → अय्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयुदकम्
- गुरवे + ऊरुकम्
- गुरवे + ऊरुकम्
- = गुरव् + (ए → अय्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयूरुकम्
- गुरवे + ऋद्धिः
- गुरवे + ऋद्धिः
- = गुरव् + (ए → अय्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयृद्धिः
- गुरवे + ॠकारः
- गुरवे + ॠकारः
- = गुरव् + (ए → अय्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयॄकारः
- गुरवे + ऌकारः
- गुरवे + ऌकारः
- = गुरव् + (ए → अय्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयॢकारः
- गुरवे + एकदा
- गुरवे + एकदा
- = गुरव् + (ए → अय्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयेकदा
- गुरवे + ऐश्वर्यम्
- गुरवे + ऐश्वर्यम्
- = गुरव् + (ए → अय्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयैश्वर्यम्
- गुरवे + ओदनम्
- गुरवे + ओदनम्
- = गुरव् + (ए → अय्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयोदनम्
- गुरवे + औषधम्
- गुरवे + औषधम्
- = गुरव् + (ए → अय्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गुरवयौषधम्
- ऐ + अच्-वर्णः
- गै + अकः
- गै + अकः
- = ग् + (ऐ → आय्) + अ + कः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = गायकः
- तस्यै + आनन्दम्
- तस्यै + आनन्दम्
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायानन्दम्
- तस्यै + इच्छा
- तस्यै + इच्छा
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायिच्छा
- तस्यै + ईप्सा
- तस्यै + ईप्सा
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायीप्सा
- तस्यै + उदकम्
- तस्यै + उदकम्
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायुदकम्
- तस्यै + ऊरुकम्
- तस्यै + ऊरुकम्
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायूरुकम्
- तस्यै + ऋद्धिः
- तस्यै + ऋद्धिः
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायृद्धिः
- तस्यै + ॠकारः
- तस्यै + ॠकारः
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायॄकारः
- तस्यै + ऌकारः
- तस्यै + ऌकारः
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायॢकारः
- तस्यै + एकदा
- तस्यै + एकदा
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायेकदा
- तस्यै + ऐश्वर्यम्
- तस्यै + ऐश्वर्यम्
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायैश्वर्यम्
- तस्यै + ओदनम्
- तस्यै + ओदनम्
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायोदनम्
- तस्यै + औषधम्
- तस्यै + औषधम्
- = तस्य् + (ऐ → आय्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तस्यायौषधम्
- ओ + अच्-वर्णः
- भो + अनम् [ पदमध्ये ]
- भो + अनम्
- = भ् + (ओ → अव्) + अ + नम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = भवनम्
- शम्भो + आनन्दम्
- शम्भो + आनन्दम्
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवानन्दम्
- शम्भो + इच्छा
- शम्भो + इच्छा
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भविच्छा
- शम्भो + ईप्सा
- शम्भो + ईप्सा
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवीप्सा
- शम्भो + उदकम्
- शम्भो + उदकम्
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवुदकम्
- शम्भो + ऊरुकम्
- शम्भो + ऊरुकम्
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवूरुकम्
- शम्भो + ऋद्धिः
- शम्भो + ऋद्धिः
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवृद्धिः
- शम्भो + ॠकारः
- शम्भो + ॠकारः
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवॄकारः
- शम्भो + ऌकारः
- शम्भो + ऌकारः
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवॢकारः
- शम्भो + एकदा
- शम्भो + एकदा
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवेकदा
- शम्भो + ऐश्वर्यम्
- शम्भो + ऐश्वर्यम्
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवैश्वर्यम्
- शम्भो + ओदनम्
- शम्भो + ओदनम्
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवोदनम्
- शम्भो + औषधम्
- शम्भो + औषधम्
- = शम्भ् + (ओ → अव्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = शम्भवौषधम्
- औ + अच्-वर्णः
- भौ + अकः
- भौ + अकः
- = भ् + (औ → आव्) + अ + कः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = भावकः
- तौ + आनन्दम्
- तौ + आनन्दम्
- = त् + (औ → आव्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावानन्दम्
- तौ + इच्छा
- तौ + इच्छा
- = त् + (औ → आव्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = ताविच्छा
- तौ + ईप्सा
- तौ + ईप्सा
- = त् + (औ → आव्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावीप्सा
- तौ + उदकम्
- तौ + उदकम्
- = त् + (औ → आव्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावुदकम्
- तौ + ऊरुकम्
- तौ + ऊरुकम्
- = त् + (औ → आव्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावूरुकम्
- तौ + ऋद्धिः
- तौ + ऋद्धिः
- = त् + (औ → आव्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावृद्धिः
- तौ + ॠकारः
- तौ + ॠकारः
- = त् + (औ → आव्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावॄकारः
- तौ + ऌकारः
- तौ + ऌकारः
- = त् + (औ → आव्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावॢकारः
- तौ + एकदा
- तौ + एकदा
- = त् + (औ → आव्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावेकदा
- तौ + ऐश्वर्यम्
- तौ + ऐश्वर्यम्
- = त् + (औ → आव्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावैश्वर्यम्
- तौ + ओदनम्
- तौ + ओदनम्
- = त् + (औ → आव्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावोदनम्
- तौ + औषधम्
- तौ + औषधम्
- = त् + (औ → आव्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = तावौषधम्
- [अभ्यासः] सन्धि-विच्छेदं कुरुत । [Exercise] Split the sandhi
- ए + अच्-वर्णः
- नयति [ पदमध्ये ]
- ने + अति
- = न् + (ए → अय्) + अ + ति [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = नयति
- मुनययानन्दम्
- मुनये + आनन्दम्
- = मुनय् + (ए → अय्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययानन्दम्
- मुनययिच्छा
- मुनये + इच्छा
- = मुनय् + (ए → अय्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययिच्छा
- मुनययीप्सा
- मुनये + ईप्सा
- = मुनय् + (ए → अय्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययीप्सा
- मुनययुदकम्
- मुनये + उदकम्
- = मुनय् + (ए → अय्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययुदकम्
- मुनययूरुकम्
- मुनये + ऊरुकम्
- = मुनय् + (ए → अय्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययूरुकम्
- मुनययृद्धिः
- मुनये + ऋद्धिः
- = मुनय् + (ए → अय्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययृद्धिः
- मुनययॄकारः
- मुनये + ॠकारः
- = मुनय् + (ए → अय्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययॄकारः
- मुनययॢकारः
- मुनये + ऌकारः
- = मुनय् + (ए → अय्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययॢकारः
- मुनययेकदा
- मुनये + एकदा
- = मुनय् + (ए → अय्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययेकदा
- मुनययैश्वर्यम्
- मुनये + ऐश्वर्यम्
- = मुनय् + (ए → अय्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययैश्वर्यम्
- मुनययोदनम्
- मुनये + ओदनम्
- = मुनय् + (ए → अय्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययोदनम्
- मुनययौषधम्
- मुनये + औषधम्
- = मुनय् + (ए → अय्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = मुनययौषधम्
- ऐ + अच्-वर्णः
- त्रायकः
- त्रै + अकः
- = त्र् + (ऐ → आय्) + अ + कः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = त्रायकः
- देव्यायानन्दम्
- देव्यै + आनन्दम्
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायानन्दम्
- देव्यायिच्छा
- देव्यै + इच्छा
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायिच्छा
- देव्यायीप्सा
- देव्यै + ईप्सा
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायीप्सा
- देव्यायुदकम्
- देव्यै + उदकम्
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायुदकम्
- देव्यायूरुकम्
- देव्यै + ऊरुकम्
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायूरुकम्
- देव्यायृद्धिः
- देव्यै + ऋद्धिः
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायृद्धिः
- देव्यायॄकारः
- देव्यै + ॠकारः
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायॄकारः
- देव्यायॢकारः
- देव्यै + ऌकारः
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायॢकारः
- देव्यायेकदा
- देव्यै + एकदा
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायेकदा
- देव्यायैश्वर्यम्
- देव्यै + ऐश्वर्यम्
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायैश्वर्यम्
- देव्यायोदनम्
- देव्यै + ओदनम्
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायोदनम्
- देव्यायौषधम्
- देव्यै + औषधम्
- = देव्य् + (ऐ → आय्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = देव्यायौषधम्
- ओ + अच्-वर्णः
- सो + अनम् [ पदमध्ये ]
- सो + अनम्
- = स् + (ओ → अव्) + अ + नम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = सवनम्
- प्रभवानन्दम्
- प्रभो + आनन्दम्
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवानन्दम्
- प्रभविच्छा
- प्रभो + इच्छा
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभविच्छा
- प्रभवीप्सा
- प्रभो + ईप्सा
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवीप्सा
- प्रभवुदकम्
- प्रभो + उदकम्
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवुदकम्
- प्रभवूरुकम्
- प्रभो + ऊरुकम्
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवूरुकम्
- प्रभवृद्धिः
- प्रभो + ऋद्धिः
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवृद्धिः
- प्रभवॄकारः
- प्रभो + ॠकारः
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवॄकारः
- प्रभवॢकारः
- प्रभो + ऌकारः
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवॢकारः
- प्रभवेकदा
- प्रभो + एकदा
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवेकदा
- प्रभवैश्वर्यम्
- प्रभो + ऐश्वर्यम्
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवैश्वर्यम्
- प्रभवोदनम्
- प्रभो + ओदनम्
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवोदनम्
- प्रभवौषधम्
- प्रभो + औषधम्
- = प्रभ् + (ओ → अव्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = प्रभवौषधम्
- औ + अच्-वर्णः
- सावकः
- सौ + अकः
- = स् + (औ → आव्) + अ + कः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = सावकः
- बालकावानन्दम्
- बालकौ + आनन्दम्
- = बालक् + (औ → आव्) + आ + नन्दम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावानन्दम्
- बालकाविच्छा
- बालकौ + इच्छा
- = बालक् + (औ → आव्) + इ + च्छा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकाविच्छा
- बालकावीप्सा
- बालकौ + ईप्सा
- = बालक् + (औ → आव्) + ई + प्सा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावीप्सा
- बालकावुदकम्
- बालकौ + उदकम्
- = बालक् + (औ → आव्) + उ + दकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावुदकम्
- बालकावूरुकम्
- बालकौ + ऊरुकम्
- = बालक् + (औ → आव्) + ऊ + रुकम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावूरुकम्
- बालकावृद्धिः
- बालकौ + ऋद्धिः
- = बालक् + (औ → आव्) + ऋ + द्धिः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावृद्धिः
- बालकावॄकारः
- बालकौ + ॠकारः
- = बालक् + (औ → आव्) + ॠ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावॄकारः
- बालकावॢकारः
- बालकौ + ऌकारः
- = बालक् + (औ → आव्) + ऌ + कारः [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावॢकारः
- बालकावेकदा
- बालकौ + एकदा
- = बालक् + (औ → आव्) + ए + कदा [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावेकदा
- बालकावैश्वर्यम्
- बालकौ + ऐश्वर्यम्
- = बालक् + (औ → आव्) + ऐ + श्वर्यम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावैश्वर्यम्
- बालकावोदनम्
- बालकौ + ओदनम्
- = बालक् + (औ → आव्) + ओ + दनम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावोदनम्
- बालकावौषधम्
- बालकौ + औषधम्
- = बालक् + (औ → आव्) + औ + षधम् [ यान्त-वान्त-आदेश-सन्धिः § एचोऽयवायावः ६.१.०७८ ]
- = बालकावौषधम्
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