भगवद्गीता ॥०१.४४॥ WIP
अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम् ।
यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यताः ॥
पदविभागः | विवरणम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
Work in progress |
विवरणानि | क्रियापदानि | |
---|---|---|
Work in progress |
पदविभागः | विवरणम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
Work in progress |
विवरणानि | क्रियापदानि | |
---|---|---|
Work in progress |
Comments
Post a Comment