भगवद्गीता ॥०१.४०॥ WIP
अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः ।
स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्करः ॥
पदविभागः | विवरणम् | प्रतिपदार्थम् |
---|---|---|
Work in progress |
विवरणानि | क्रियापदानि | |
---|---|---|
Work in progress |
Comments
Post a Comment