भगवद्गीता ॥०१.३८॥ WIP
कथं न ज्ञेयमस्माभिः पापादस्मन्निवर्तितुम् ।
कुलक्षयकृतं दोषं प्रपश्यद्भिर्जनार्दन ॥
| पदविभागः | विवरणम् | प्रतिपदार्थम् |
|---|---|---|
| Work in progress | ||
| विवरणानि | क्रियापदानि | |
|---|---|---|
| Work in progress | ||
| पदविभागः | विवरणम् | प्रतिपदार्थम् |
|---|---|---|
| Work in progress | ||
| विवरणानि | क्रियापदानि | |
|---|---|---|
| Work in progress | ||
Comments
Post a Comment